साइलेंट किलर बन रहा पॉल्यूशन! जान लीजिए भारत का हाल
वायु प्रदूषण से हर दिन 464 बच्चों की मौत, क्या है समाधान?
वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो पूरी दुनिया में कई लोगों की जान ले रही है, विशेष रूप से बच्चों की। भारत में यह समस्या बेहद बढ़ गई है, जहां हर दिन पांच साल से कम उम्र के 464 बच्चों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हो रही है। यह आंकड़ा तंबाकू और मधुमेह से होने वाली मौतों से भी अधिक है।
भारत में मौतों की चौंकाने वाली संख्या
नेशनल डेस्क के अनुसार, स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) 2024 रिपोर्ट में यह सामने आया कि वायु प्रदूषण के कारण 2024 में भारत में 169,400 बच्चों की मौत हो चुकी थी। यह कुपोषण के बाद बच्चों की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। 2021 में वायु प्रदूषण ने वैश्विक स्तर पर 8.1 मिलियन मौतें कीं, जिनमें से 55% भारत और चीन से थीं।
वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव
वायु प्रदूषण सिर्फ बच्चों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह अस्थमा, फेफड़ों के विकार, हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। प्रदूषण के कारण इन बीमारियों में वृद्धि हो रही है और यह लोगों की जीवन गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
भारत में प्रदूषण का स्तर
भारत में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ चुका है। यहां लगभग 1.4 बिलियन लोग PM2.5 (एक प्रकार का प्रदूषक तत्व) के अस्वास्थ्यकर स्तर के संपर्क में हैं, जो सबसे हानिकारक प्रदूषक है। PM2.5 छोटे कण होते हैं जो सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
कौन सबसे ज्यादा प्रभावित है?
वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और बाहरी काम करने वाले कर्मचारी होते हैं। बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जिससे वे प्रदूषण के अधिक शिकार होते हैं।
क्या किया जा सकता है?
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को अपनाना है, जिसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना है। जल और स्वच्छता की स्थिति में सुधार करना और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना भी आवश्यक है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन को उलटने के लिए कदम उठाना भी जरूरी है।
सरकार और नागरिक समाज को मिलकर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रयास करने होंगे, ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ जीवन जी सके।
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