सरकार और विपक्ष को समर्थन देने वाले निर्दलीय अब खुद बेसहारा, भाजपा ने किसी को नहीं दिया टिकट
हरियाणा चुनाव: भाजपा से समर्थन पाने वाले निर्दलीय विधायक अब चुनावी मैदान में बेसहारा
हरियाणा विधानसभा चुनाव में संकट के समय भाजपा सरकार को समर्थन देने वाले छह निर्दलीय विधायक अब खुद बेसहारा हो गए हैं। भाजपा ने किसी भी निर्दलीय विधायक को टिकट नहीं दिया, जबकि कांग्रेस ने सिर्फ धर्मपाल गोंदर को नीलोखेड़ी से उम्मीदवार बनाया है। तीन निर्दलीय विधायक फिर से आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एक विधायक के निधन के बाद उनकी पत्नी निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं।
निर्दलीय विधायकों की स्थिति
पिछले विधानसभा चुनाव में सात निर्दलीय विधायक जीते थे। इनमें रानियां से रणजीत चौटाला, पृथला से नयनपाल रावत, बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद, दादरी से सोमबीर सांगवान, पूंडरी से रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर, और महम से बलराज कुंडू शामिल थे। कुंडू को छोड़कर सभी छह विधायकों ने भाजपा का समर्थन किया, जिससे भाजपा ने दोबारा प्रदेश में सरकार बनाई। भाजपा ने चौटाला को कैबिनेट मंत्री बनाया, जबकि बाकी को बोर्ड और निगमों में चेयरमैन पद सौंपे।
हालांकि, चुनाव के करीब आते ही इनमें से तीन विधायकों—धर्मपाल गोंदर, रणधीर गोलन, और सोमबीर—ने कांग्रेस का समर्थन किया, मगर उन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिल पाया। अब ये तीनों निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। राकेश दौलताबाद के निधन के बाद उनकी पत्नी कुमुदिनी निर्दलीय उम्मीदवार हैं। रणजीत चौटाला ने भाजपा से हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए। अब वे निर्दलीय रूप में रानियां से चुनाव लड़ रहे हैं। नयनपाल रावत भी भाजपा से टिकट न मिलने के बाद पृथला से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रमुख निर्दलीय विधायक और उनकी चुनावी स्थिति
रणधीर सिंह गोलन (पुंडरी): 2019 में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले गोलन ने भाजपा को समर्थन दिया, लेकिन अब वह कांग्रेस से समर्थन वापस लेकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
सोमबीर सांगवान (दादरी): सांगवान ने पहले भाजपा और फिर कांग्रेस का समर्थन किया, मगर कांग्रेस ने उनकी जगह मनीषा सांगवान को टिकट दिया। इस बार सांगवान चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
नयनपाल रावत (पृथला): भाजपा का समर्थन करने वाले रावत को टिकट नहीं मिला, जिससे नाराज होकर वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में फिर से चुनाव लड़ रहे हैं।
राकेश दौलताबाद (बादशाहपुर): दौलताबाद के निधन के बाद उनकी पत्नी कुमुदिनी इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं।
रणजीत चौटाला (रानियां): भाजपा से टिकट न मिलने के कारण चौटाला निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
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