रुपये ने शुक्रवार को लगातार सातवें कारोबारी सत्र में तेजी दिखाई और यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की बढ़त के साथ 83.55 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस वृद्धि का मुख्य कारण घरेलू शेयर बाजारों में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट है, जिसने निवेशकों की धारणा को सकारात्मक दिशा में बढ़ाया। पिछले एक हफ्ते में रुपये ने 44 पैसे की वृद्धि की है, जो 11 सितंबर को 83.99 प्रति डॉलर के स्तर से शुरू हुई थी। इस दौरान रुपये ने 12 सितंबर से लेकर अब तक लगातार सुधार का रुख अपनाया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार का प्रभाव
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, एशिया के अन्य देशों की तुलना में डॉलर के कमजोर होने से भी रुपये को समर्थन मिला। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मानक ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती के चलते निवेशकों का ध्यान उभरते बाजारों की मुद्राओं की ओर केंद्रित हुआ है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 83.63 पर खुला और कारोबार के दौरान 83.48 के उच्चतम स्तर तक गया। इस समय डॉलर सूचकांक 0.18 प्रतिशत बढ़कर 100.50 पर पहुंच गया।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.47 प्रतिशत गिरकर 74.53 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जिससे भारतीय मुद्रा को और मजबूती मिली।
घरेलू शेयर बाजार में भी तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स 1,359.51 अंक उछलकर 84,544.31 अंक के नए उच्चस्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 375.15 अंक चढ़कर 25,790.95 अंक पर पहुंच गया।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई)
हालांकि, शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, एफआईआई ने बृहस्पतिवार को 2,547.53 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जो कि एक चिंता का विषय है।
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