महंगाई की मार: दाल पतली, रोटी महंगी; रसोई का बजट बिगड़ा
आटा, दाल और बेसन के दामों में भारी इजाफा, जनता के लिए दाल-रोटी का खर्च उठाना हुआ मुश्किल....
महंगाई की बढ़ती लहर ने आम आदमी की रसोई को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। दाल-रोटी, जो हर घर का मुख्य भोजन है, अब आम जनता की पहुंच से दूर होती जा रही है। पिछले दो महीने में आटे, दाल और बेसन के दामों में भारी उछाल आया है, जिससे घर का बजट बिगड़ गया है।
महंगाई का असर:
- आटा:
- दो महीने पहले 10 किलो आटे का पैकेट 290 रुपये में मिलता था।
- अब इसकी कीमत 400 रुपये तक पहुंच गई है।
- प्रति किलो कीमत में 3-4 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
- दाल:
- चने की दाल की कीमत 80 रुपये/किलो से बढ़कर 120 रुपये/किलो हो गई है।
- काले चने की कीमत भी 80 से बढ़कर 120 रुपये प्रति किलो हो गई है।
- बेसन की कीमत 100 रुपये/किलो से बढ़कर 140 रुपये/किलो हो गई है।
कारण:
- आटा:
केंद्र सरकार ने इस साल ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत आटा मिल मालिकों को गेहूं नहीं उपलब्ध कराया।
इससे बाजार में गेहूं की कमी हो गई और कीमतों में उछाल आ गया। - दाल:
बढ़ी हुई मांग के बावजूद सप्लाई स्थिर है, जिससे कीमतें बढ़ी हैं।
जनता की परेशानियां:
महंगाई ने दाल और सब्जियों की जगह रसोई में चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। लोगों का कहना है कि हर जरूरत की चीज महंगी हो रही है, जिससे दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है।
विशेषज्ञ की राय:
ऑल इंडिया रिटेल किराना एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार जैन का कहना है कि महंगाई के कारण होलसेल और रिटेल की कीमतों में अंतर कम हो गया है। उन्होंने बताया कि हालात में सुधार के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना होगा और खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बढ़ानी होगी।
महंगाई का ग्राफ:
उत्पाद | पहले की कीमत (₹) | वर्तमान कीमत (₹) |
10 किलो आटा | 290 | 400 |
चने की दाल | 80 | 120 |
काले चने | 80 | 120 |
बेसन | 100 | 140 |
सरकार से उम्मीदें:
महंगाई पर नियंत्रण के लिए जनता सरकार से गेहूं और दाल की आपूर्ति बढ़ाने और रिटेल कीमतों में स्थिरता लाने की मांग कर रही है।
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