फेड रिजर्व के फैसले से भारत के शेयर बाजार पर असर
क्या डॉलर इंडेक्स बढ़ने से शेयर बाजार में और गिरावट आएगी?
फेडरल रिजर्व की दो दिनों की पॉलिसी मीटिंग 17 दिसंबर से शुरू हो चुकी है, और इस बैठक में ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती का अनुमान है। यह मीटिंग 2024 के अंत से पहले होगी और इसके बाद की बैठक में राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड ट्रंप का आगमन हो सकता है, जो आमतौर पर ब्याज दरों में कटौती के खिलाफ रहे हैं। अब सवाल यह है कि फेड के इस फैसले का भारतीय शेयर बाजार पर क्या असर पड़ेगा? क्या इसके बाद भारतीय बाजार में और गिरावट देखने को मिलेगी?
हाल के दिनों में भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही है। इस हफ्ते के पहले दो कारोबारी दिनों में ही भारतीय शेयर बाजार में 1500 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई है। इसकी प्रमुख वजह रुपये की कमजोरी और फेड रिजर्व की पॉलिसी बैठक के दौरान संभावित फैसलों का डर है। जब फेड की बैठक शुरू हुई, तो भारतीय निवेशकों के बीच चिंता बढ़ गई कि अगर फेड ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे डॉलर इंडेक्स में और उछाल आ सकता है, और विदेशी निवेशकों का आकर्षण भारतीय बाजार से घट सकता है।
फेड की बैठक और ब्याज दर में कटौती
फेड रिजर्व की बैठक में 0.25 फीसदी की ब्याज दर कटौती की संभावना जताई जा रही है। विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बार के फैसले में 97 फीसदी संभावना है कि फेड ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती करेगा। इसके अलावा, फेड के अधिकारियों से यह भी उम्मीद है कि वे अपनी आक्रामक पॉलिसी में कुछ नरमी दिखा सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो डॉलर इंडेक्स में और मजबूती देखने को मिल सकती है, जो भारतीय रुपये पर दबाव बनाएगा।
डॉलर इंडेक्स में मजबूती और रुपये पर असर
फेड के फैसले के बाद डॉलर इंडेक्स में मजबूती की उम्मीद जताई जा रही है। वर्तमान में डॉलर इंडेक्स 107 के आसपास है और अनुमान है कि यह 108 से 110 के बीच रह सकता है। इस वजह से डॉलर में और मजबूती देखने को मिल सकती है, जिसका असर भारतीय रुपये पर पड़ेगा। पिछले कुछ महीनों में डॉलर इंडेक्स में 6.28 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है, और मौजूदा साल में यह 5.50 फीसदी तक बढ़ चुका है। यह भारतीय मुद्रा की कमजोरी को और बढ़ावा दे सकता है।
विदेशी निवेशकों का पलायन
जब डॉलर इंडेक्स में तेजी आती है, तो विदेशी निवेशकों का इमर्जिंग मार्केट्स, जैसे भारत, पर से आकर्षण कम हो सकता है। अक्टूबर और नवंबर के महीने में इसका उदाहरण देखा गया था, जब विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 1.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी। हालांकि, दिसंबर में भारतीय शेयर बाजार में फिर से विदेशी निवेशकों का निवेश बढ़ा है, जो अब तक 26,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश कर चुके हैं। लेकिन अगर फेड ब्याज दरों में कटौती करता है, तो विदेशी निवेशक एक बार फिर भारतीय बाजार से अपना पैसा निकाल सकते हैं। इससे शेयर बाजार में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
शेयर बाजार में हाल की गिरावट
हाल ही में, भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही है। इस हफ्ते के पहले दो दिनों में ही, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 1,448 अंक तक गिर चुका है। मंगलवार को सेंसेक्स 1,064 अंक गिरकर 80,684 अंक पर बंद हुआ था। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी भी 432 अंक तक गिर चुका है। मंगलवार को निफ्टी 332 अंक गिरकर 24,336 अंक पर बंद हुआ था। यह गिरावट विदेशी निवेशकों की निकासी और रुपये की कमजोरी के कारण है।
फेड रिजर्व की बैठक में होने वाली संभावित ब्याज दर कटौती का असर भारतीय शेयर बाजार पर गहरा हो सकता है। डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी, रुपये में गिरावट और विदेशी निवेशकों का पलायन भारतीय बाजार के लिए चिंता का कारण बन सकता है। यदि फेड का फैसला भारतीय बाजार पर दबाव डालता है, तो आगे चलकर बाजार में और गिरावट देखने को मिल सकती है। निवेशकों को इस समय सतर्क रहने और बाजार के रुख को समझने की जरूरत है।