पीयू में सीनेट का कार्यकाल समाप्त, नए गठन का इंतजार
चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था सीनेट का कार्यकाल अब समाप्त हो चुका है, जिससे विश्वविद्यालय में प्रशासनिक और नीतिगत निर्णयों में अस्थिरता का माहौल उत्पन्न हो गया है। सीनेट का पुनर्गठन अभी तक लंबित है, और उपराष्ट्रपति एवं पीयू के चांसलर जगदीप धनखड़ के कार्यालय से इस संबंध में कोई आधिकारिक निर्देश जारी नहीं किया गया है।
सीनेट का गठन विश्वविद्यालय के सुचारु संचालन और महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सहायक होता है। यह न केवल विश्वविद्यालय की नीतियों को दिशा देता है, बल्कि शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और छात्रों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हुए उनके अधिकारों की रक्षा भी करता है। सीनेट में शिक्षकों, विश्वविद्यालय कर्मचारियों, छात्रों, राज्य के नामांकित सदस्यों और अन्य हितधारकों का प्रतिनिधित्व होता है, जो मिलकर विश्वविद्यालय की शैक्षिक, वित्तीय और प्रशासनिक नीतियों पर निर्णय लेते हैं।
सूत्रों के अनुसार, जल्द ही चांसलर कार्यालय से सीनेट के पुनर्गठन की अधिसूचना जारी होने की संभावना है। इस देरी के कारण विश्वविद्यालय के विभिन्न निर्णय जैसे नई नीतियों का कार्यान्वयन, कर्मचारियों की नियुक्ति, शोध कार्यों का विस्तार और वित्तीय निर्णय अटक सकते हैं। विश्वविद्यालय में सीनेट के गठन की अनुपस्थिति के चलते शिक्षकों और कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। छात्रों और शिक्षाविदों का कहना है कि सीनेट का गठन जल्द से जल्द किया जाना चाहिए ताकि विश्वविद्यालय सुचारू रूप से कार्य कर सके और महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।
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