आलिया भट्ट की ‘जिगरा’ में दोहराव का असर, दिव्या खोसला से तुलना ने फिल्म की मौलिकता पर उठाए सवाल
मुंबई: आलिया भट्ट की नई फिल्म ‘जिगरा’ पर लगातार चर्चाएं हो रही हैं, लेकिन फिल्म की कहानी और अभिनय में दोहराव दर्शकों के अनुभव को खास नहीं बना पाया। एक समय आलिया भट्ट को हिंदी सिनेमा की नंबर वन हीरोइन माना जाता था, लेकिन हाल की फिल्मों में उनका अभिनय एकसार नजर आने लगा है। ‘गली बॉय’ के बाद आईं फिल्मों जैसे ‘कलंक’, ‘सड़क 2’, ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’, ‘आरआरआर’, ‘ब्रह्मास्त्र पार्ट वन’, और ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ को दर्शकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली थी, और ‘जिगरा’ भी उसी दिशा में जाती नजर आती है।
कहानी का दोहराव:
‘जिगरा’ की कहानी को लेकर खासा विवाद रहा है, क्योंकि इसका मूल आधार पहले ही मुकेश भट्ट ने दिव्या खोसला कुमार को लेकर बनाई फिल्म ‘सावि’ में इस्तेमाल कर लिया था। यह सवाल उठना लाज़मी है कि वासन बाला और करण जौहर के बीच ‘जिगरा’ की स्क्रिप्ट को लेकर जो खेल खेला गया, वह कहीं न कहीं फिल्म की मौलिकता से ध्यान भटकाने का प्रयास था।
आलिया का अभिनय एकसार:
आलिया भट्ट का नाम बड़े पर्दे पर एक भरोसेमंद अभिनेत्री के रूप में गिना जाता है, लेकिन हाल की फिल्मों में उनके अभिनय में दोहराव देखने को मिल रहा है। ‘जिगरा’ में भी आलिया अपनी पिछली फिल्मों की तरह ही नजर आती हैं, जिससे दर्शकों पर खास असर नहीं पड़ता। महेश भट्ट और करण जौहर जैसे समर्थकों के होते हुए भी आलिया अपनी पुरानी फिल्मों से आगे बढ़ती नजर नहीं आ रही हैं।
फिल्म की प्रतिक्रिया:
‘जिगरा’ की तुलना दिव्या खोसला कुमार की ‘सावि’ से होने के बाद, दर्शकों के मन में फिल्म की मौलिकता पर सवाल उठने लगे हैं। आलिया भट्ट के प्रशंसक भी यह मानते हैं कि उनकी फिल्मों में नई कहानी और नयापन होना जरूरी है, ताकि वे खुद को एक बेहतर अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर सकें।
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