चंडीगढ़ के प्राचीन कला केंद्र में संतूर वादन की अद्भुत छटा से दर्शक भाव विभोर
केन्द्र की 297वीं मासिक बैठक में युवा संतूर वादक डॉ बिपुल कुमार रॉय ने अपने प्रभावशाली संतूर वादन से दर्शकों की खूब सराहना प्राप्त की
चण्डीगढ़़: प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला में आज यहां इसी की 297वीं कड़ी में मधुर एवं सधे हुए संतूर वादन की प्रस्तुति पेश की गई । दिल्ली से आए युवा एवं प्रतिभाशाली संतूर वादक डॉ बिपुल कुमार रॉय ने अपने प्रभावशाली संतूर वादन से दर्शकों की खूब सराहना प्राप्त की ।इनके साथ तबले पर जाने माने तबला वादक उस्ताद अकरम खान ने बखूबी साथ दिया ।
इस कार्यक्रम का आयोजन हमेशा की भांति केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में किया गया । इस अवसर पर चण्डीगढ़़ के कुछ जानेमाने कलाकारों ने अपनी उपस्थिति से चार चांद लगा दिए । बिपुल एक ऐसे युवा संतूर वादक हैं जिन्होंने बहुत काम समय में संगीत की दुनिय में अपना स्थान बनाया है।
इन्होने संतूर वादन की शिक्षा सूफियाना घराने के प्रसिद्द संतूर वादक पद्मश्री पंडित भजन सोपोरी से प्राप्त की है। इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय से गायन में एमफिल तथा पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। बिपुल आकाशवाणी के ऐ ग्रेड कलाकार हैं और भारतीय संस्कृति मंत्रालय में उत्कृष्ट श्रेणी के कलाकार हैं। रागों की शुद्धता , छंदों का मधुर प्रयोग और आकर्षक लयकारी इनके तंत्र वादन की विशेषता है। इनको संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
कार्यक्रम की शुरुआत के लिए बिपुल ने राग रागेश्री में आलाप से की। तंत्रकारी अंग में सजी विलम्बित ताल में आलाप के उपरांत झप ताल मध्य लय में जोड़ पेश किया तथा द्रुत तीन ताल से सजा झाला पेश करके खूब तालिया बटोरी। तंत्रकारी अंग में महारथ रखने वाले बिपुल ने लयकारियों से दर्शकों वाहवाही बटोरी । । कार्यक्रम का समापन इन्होंने एक मधुर पहाड़ी धुन से किया जिसका दर्शकों के खूब आनंद उठाया । तबले पर उस्ताद अकरम खान के हमेशा की तरह बखूबी रंग जमाया । कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को उतरीया एव मोमेंटो देकर सम्मानित किया । इस अवसर पर केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर भी उपस्थित थे। (युद्धवीर सिंह की रिपोर्ट)
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