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संजय कॉलोनी के लोग अब कहां जाएं?

प्रशासनिक कार्रवाई से उजड़े हजारों परिवार, बच्चों के भविष्य पर मंडराया संकट

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चंडीगढ़ : की संजय कॉलोनी में मंगलवार की सुबह जेसीबी की गड़गड़ाहट के साथ लोगों के सपनों का आशियाना टूटता गया और उनकी आहें उस शोर में दबती चली गईं। प्रशासन के आदेश पर जैसे ही तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू हुई पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लोगों की आंखों में आंसू थे और दिल में डर। कई परिवारों ने रातभर जागकर अपनी ज़िंदगी की जमा-पूंजी समेटी थी लेकिन सुबह होते ही वह भी मलबे के नीचे दब गई। कॉलोनी के अधिकतर लोग मजदूरी करके अपना घर चलाते हैं और उनके पास न तो जमीन है और न ही कहीं और जाने की कोई ठोस व्यवस्था।

इस कार्रवाई ने लोगों के दिलों में भय और निराशा भर दी है। कई घरों में मंगलवार को चूल्हे तक नहीं जले और बच्चे भूखे सो गए। लोग सदमे में हैं और सबसे ज्यादा चिंता बच्चों के भविष्य को लेकर है क्योंकि कॉलोनी में रहने वाले अधिकतर बच्चे पास के सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और अब उनके लिए न सिर्फ पढ़ाई का संकट खड़ा हो गया है बल्कि रहने का भी कोई ठिकाना नहीं बचा।

प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई अवैध कब्जों के खिलाफ की गई है और नोटिस पहले ही जारी किए गए थे लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें समय पर न तो कोई विकल्प दिया गया और न ही कोई पुनर्वास योजना बताई गई। अब उनके सामने बड़ा सवाल यह है कि वे अपने परिवार को लेकर जाएं तो कहां जाएं।

कई बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष खुले आसमान के नीचे बैठकर अपने उजड़ते घरों को देख रहे थे जिनमें उन्होंने पूरी उम्र गुजारी थी। कुछ युवा प्रशासन से बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मौके पर भारी पुलिस बल की मौजूदगी के चलते कोई उनकी बात सुनने वाला नहीं था। इस पूरी घटना ने एक बार फिर शहर में गरीबों और झुग्गीवासियों के पुनर्वास की नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


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