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हाईकोर्ट का सख्त रुख: पंजाब सरकार से विज्ञापन और कल्याण योजनाओं पर खर्च का ब्योरा तलब

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मियों के बकाए के भुगतान में देरी पर सवाल उठाते हुए विज्ञापनों और प्रचार पर किए गए खर्च की जानकारी मांगी।

पंजाब: पंजाब सरकार को हाईकोर्ट का आदेश: विज्ञापनों और प्रचार पर खर्च का पूरा ब्योरा दें
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को मार्च 2022 में सत्ता संभालने के बाद से विज्ञापनों, मंत्रियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के कार्यक्रमों, साथ ही कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार पर किए गए खर्च का पूरा ब्योरा देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि सरकारी कर्मियों के बकाए के भुगतान के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन विज्ञापन पर खर्च करने के लिए धन उपलब्ध है।

कर्मचारियों के बकाए पर विवाद
यह मामला सरकारी कर्मियों के छठे वेतन आयोग के तहत 2016 से 2021 तक के बकाए के भुगतान में देरी से जुड़ा है। बलवंत सिंह और अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में बताया कि सितंबर 2023 में कोर्ट ने तीन महीनों में बकाया राशि जारी करने का आदेश दिया था। हालांकि, पंजाब सरकार ने अब तक इस आदेश का पालन नहीं किया।

पिछली सुनवाई में वित्त सचिव ने कहा था कि बकाया जारी करने में करीब 18,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जिसे 2029-30 से 2030-31 तक जारी करने की योजना है। हाईकोर्ट ने इस समयसीमा को अत्यधिक लंबा बताते हुए सख्त टिप्पणी की थी। सरकार ने इसके बाद नई समयसीमा 2027-28 तय की, लेकिन कोर्ट ने इसे भी अस्वीकार करते हुए तीखी फटकार लगाई।

विज्ञापन पर खर्च की जानकारी मांगी
कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मियों के बकाए के लिए धनराशि नहीं होना गंभीर चिंता का विषय है, जबकि विज्ञापनों और प्रचार पर भरपूर खर्च किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने अब पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि 2022 से अब तक प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों और प्रचार पर किए गए खर्च का विवरण कोर्ट को सौंपा जाए।

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