चण्डीगढ़ की छात्रा महक हरियाणा ज्यूडीशियल सर्विसिज़ की परीक्षा उत्तीर्ण करके बनीं जज
प्रतिष्ठित पूर्व न्यायाधीश मनीष अरोड़ा की अकादमी में मुफ़्त कोचिंग ले कर सिविल जज बनी
चण्डीगढ़ : पिछले दिनों हुई हरियाणा सिविल जज की परीक्षा में चण्डीगढ़ की महक उत्तीर्ण करके जज बन गईं हैं। उन्होंने 51वां रैंक हासिल किया है। महक ने इसका श्रेय पूरी तरह से पूर्व जज मनीष अरोड़ा व टीचर सुप्रिया को दिया। पूर्व जज मनीष अरोड़ा ने जज की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर महज 10 महीने पहले अपनी लॉ एकेडमी शुरू की है।
आज मनीष अरोड़ा व महक ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी इस उपलब्धि का खुलासा किया। मनीष अरोड़ा ने बताया कि उन्होंने 4 वर्ष तक जज का दायित्व निभाया, परन्तु उनका मन शिक्षण कार्य करने की ओर था। उन्होंने बताया कि वे नहीं चाहते थे कि जो मुश्किलें उन्हें जज बनने के लिए पेश आयीं, वे जज बनने के इच्छुक अन्य विद्यार्थियों को ना आएं। तब उन्होंने प्रतिष्ठित न्यायाधीश की नौकरी छोड़कर कुछ माह पूर्व ही सेक्टर 37 में मनीष अरोड़ा लॉ एकेडमी स्थापित की और महक के जज बनने पर पहली उपलब्धि हासिल की।
उन्होंने बताया कि महक के अलावा तीन अन्य प्रतिभाशाली विद्यार्थियों ने भी इंटरव्यू में भाग लिया परन्तु उनके अंक कुछ कम रह गए। उनके मुताबिक वे न केवल कानूनी शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि व्यावहारिक प्रशिक्षण पर भी जोर देते हैं। मनीष अरोड़ा जज बनने से पहले 11 वर्षों तक शिक्षण कर चुके है अथवा अपने ज्यूडिशियरी करियर में 11 बार मेंस व 4 बार इंटरव्यू तक पहुंचे हैं। उनका मानना यह है कि उनके जज बनने के सफर में कोई मार्गदर्शन करवाने वाला नहीं था इसलिए उन्होंने अपनी गलतियों व असफलताओं से सीखा। उनके अनुसार वह सभी छात्रों को एक सीधे व सही रास्ते पर चलाना चाहते हैं ताकि वह सफलता पाने में विफल न हो।
महक ने बताया कि कि मनीष क्लासेस में मेंस आंसर राइटिंग बैच ज्वाइन किया था और उसके बाद इंटरव्यू के लिए भी मैंने उनसे से ही गाइडेंस ली थी और उसके लिए काफी सारे मॉक इंटरव्यू भी मैंने इस एकेडमी में ही दिए थे। मेरी पूरी जर्नी में जैसे सर ने मुझे समझाया जिस हिसाब से मुझे एग्जाम के लिए तैयार किया और मुझे मेरे लक्ष्य से भटकने नहीं दिया वह बहुत हेल्पफुल रहा। दूसरी एक बहुत बड़ी चीज है कि जिस तरीके से लैंग्वेज पर भी पूरा फोकस रखा गया क्योंकि जुडिशरी एग्जाम में लैंग्वेज का एक बहुत बड़ा रोल होता है। जिस तरह इन दोनों ने उनके ऊपर ट्रस्ट दिखाया, उसकी वजह से ही मुझे कॉन्फिडेंस मिला और वे एग्जाम में अपना 100% दे पाई।
पूर्व जज मनीष अरोड़ा ने जब अपने करियर की ऊंचाइयों को छोड़ने का निर्णय लिया, तो उनके इस कदम ने सभी को चौंका दिया। उनका उद्देश्य था कि वे नई पीढ़ी को न्यायपालिका के प्रति जागरूक करें और उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करें। पूर्व जज मनीष अरोड़ा ने अपनी न्यायिक यात्रा को पीछे छोड़कर एक नई जिम्मेदारी उठाई। उनके अनुसार जज बनने के लिए बहुत छात्र सपना देखते है परन्तु सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण वह अपने उद्देश्य तक नहीं पहुंच पाते और उनके सपने अधूरे रह जाते है। मेरा सपना यह है कि मैं उन्हें सही रास्ते पर चला कर उनके जज बनने के सफर में सहायता कर सकूं।” (रोशन लाल शर्मा की रिपोर्ट)
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