News around you

निचले हिमालयी क्षेत्रों से कई पेड़ प्रजातियों का लुप्त होना, अध्ययन में तथ्य सामने आए

Himachal:  जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्रों में कई पेड़ प्रजातियों की ऊंचाई में बढ़ोतरी हो रही है। बढ़ते तापमान से निचले क्षेत्रों में कई प्रजातियां खत्म हो रही हैं, जबकि ये अब ऊंचे क्षेत्रों में देखी जा रही हैं। हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला के हालिया अध्ययन में बताया गया है कि कुछ पेड़ 100 से 1000 मीटर तक ऊंचाई की ओर खिसक गए हैं।
उदाहरण के लिए, देवदार जो पहले 1,500 से 2,500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता था, अब 3,000 मीटर के करीब देखा जा रहा है। हर दशक में औसतन 20 से 25 मीटर की ऊंचाई की वृद्धि हो रही है।
प्रभावित प्रजातियां:
नीला चीड़: पहले 1,800-2,500 मीटर पर, अब 2,800 मीटर तक पहुंच गया।
देवदार: पहले 1,500-2,500 मीटर पर, अब 3,000 मीटर के करीब।
हिमालयी बर्च, पश्चिम हिमालयी फर, बुरांस: इनमें 100 से 300 मीटर की ऊंचाई में वृद्धि देखी गई है।
बदलाव की मुख्य वजह:
अध्ययन में पता चला है कि वृक्ष रेखा हर दशक में 20 से 25 मीटर ऊपर खिसक रही है। कुछ प्रजातियां तेजी से प्रतिक्रिया कर रही हैं, जबकि अन्य धीमी गति से ऊपर बढ़ रही हैं। हिमालयी फर करीब 200–250 मीटर तक ऊपर खिसक चुका है।
हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक विनीत जिस्टू ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से वनस्पति की ऊंचाई में बढ़ोतरी हो रही है, और कुछ प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।
चल रहा शोध:
जलवायु परिवर्तन से वनस्पति पर हो रहे बदलाव को समझने के लिए वन विभाग और हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान 2010 से शोध कर रहा है। शोध में कल्पा के चौरा कंडा, किन्नौर के नरदा कंडा और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में उग रही वनस्पति की ऊंचाई को दर्ज किया जा रहा है।

You might also like

Comments are closed.