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जांच में खामी के कारण नशा तस्करी के आरोपी को 20 साल बाद दोष मुक्त किया गया

चंडीगढ़। पुलिस की जांच में खामी और तय प्रावधानों का पालन न करने के चलते पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने नशा तस्करी के आरोपी को 20 साल बाद दोषमुक्त करार दिया है। सिरसा की अदालत ने उसे दोषी मानते हुए 15 साल की कैद और 1 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। याचिका दाखिल करते हुए जगजीत सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि 2005 में सिरसा की ट्रायल कोर्ट ने उसे नशा तस्करी का दोषी करार दिया था, जबकि एनडीपीएस के अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। पुलिस ने भी जांच के दौरान तय प्रावधानों की अनदेखी की। एफआईआर के अनुसार याची के पास से पॉपी हस्क की वाणिज्य मात्रा प्राप्त हुई थी और वाहन की जांच डीएसपी की मौजूदगी में की गई थी। हाईकोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि डीएसपी की मौजूदगी में वाहन की जांच की गई थी, लेकिन यह जांच योग्य नहीं थी क्योंकि इसके लिए इलाका मजिस्ट्रेट की अनुमति जरूरी थी। हाईकोर्ट ने माना कि दोषी करार देने और सजा के आदेश में तय प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। ऐसे में हाईकोर्ट ने याची को दोषमुक्त करार दे दिया।

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