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चंडीगढ़ में किसानों का धरना समाप्त, घर लौटे किसान

चंडीगढ़ के सेक्टर-34 स्थित मेला ग्राउंड में किसानों का पक्का मोर्चा समाप्त हो गया है। शुक्रवार दोपहर को किसान अपने घरों को लौट गए। जाने से पहले किसान नेताओं ने महापंचायत में घोषणा की कि पंजाब सरकार ने उन्हें 30 सितंबर तक मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है। यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो किसान मटका चौक पर पक्का मोर्चा शुरू करेंगे। मेला ग्राउंड में धरना समाप्त होने से प्रशासन और पुलिस ने राहत की सांस ली है।

गुरुवार को पंजाब सरकार और किसानों के बीच लगभग ढाई से तीन घंटे की बैठक हुई थी। शुक्रवार को किसान नेताओं ने मेला ग्राउंड में पंडाल में मौजूद हजारों किसानों के सामने इस बैठक में हुई बातचीत को रखा। उन्होंने एक-एक कर सरकार की ओर से हर मांग पर मिले जवाब को विस्तार से समझाया। सुबह ही किसान नेताओं ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया था, जिसके बाद किसानों ने अपने तंबू उखाड़कर सामान ट्रालियों और अन्य गाड़ियों में लोड करना शुरू कर दिया था।
गुरुवार को किसानों और पंजाब सरकार के बीच लगभग ढाई से तीन घंटे तक बैठक हुई। शुक्रवार को किसान नेताओं ने मेला ग्राउंड में पंडाल में उपस्थित हजारों किसानों के बीच इस बैठक की चर्चा रखी और सरकार की ओर से हर मांग पर दिए गए जवाबों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। किसान नेताओं ने सुबह ही आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी थी, जिसके बाद किसानों ने अपने तंबू उखाड़कर सामान ट्रालियों और अन्य गाड़ियों में लाद लिया।

पंजाब खेत-मजदूर यूनियन के प्रधान जोरा सिंह ने बताया कि सरकार ने मीटिंग में 30 सितंबर तक मांगों को पूरा करने का समय दिया है। इसके अलावा, कुछ मांगों पर तुरंत कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसी के बाद उन्होंने आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया। वहीं, मटका चौक पर प्रदर्शन कर रहे पंजाब के कर्मचारियों के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज मामलों को लेकर किसान नेताओं ने एसएसपी से फोन पर बात की और एफआईआर को रद्द करने की मांग की।

किसानों के धरने के चलते न केवल चंडीगढ़, बल्कि पंजाब पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स सहित लगभग 1300 जवानों को तैनात किया गया था। इनमें कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर, डीएसपी और आईपीएस अधिकारी तक शामिल थे। इसके अलावा, सेक्टर-34 में स्थित निजी शिक्षण संस्थानों और कार्यालयों के कर्मचारियों ने भी आंदोलन समाप्त होने से राहत की सांस ली है, क्योंकि रोजाना हजारों लोगों को इससे परेशानी हो रही थी। इसके साथ ही, मेला ग्राउंड में लगने वाली साप्ताहिक मंडी भी इस कारण नहीं लग सकी थी।

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