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एम्बुलेंस ऑपरेटर्स ने रेड एम्बुलेंस और फोर्टिस मोहाली के खिलाफ खोला मोर्चा

पेशेंट्स व उनके परिजनों की मजबूरी और लाचारी का न उठाया जाए नाजायज़ फायदा

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चंडीगढ़:-हॉस्पिटल्स के बाहर से पेशेंट को लाने व छोड़ने से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले एम्बुलेंस ऑपरेटर्स के लिए भूखों मरने की नौबत आ गई है। कारण है फोर्टिस जैसे प्राइवेट हॉस्पिटल्स का रेड एम्बुलेंस जैसी कंपनियों से हाथ मिलाना।
एम्बुलेंस ऑपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन पंजाब के प्रधान बलविंदर सिंह व अन्य सुरिंदर कुमार और श्रवण कुमार ने बताया कि वो लोग फोर्टिस हॉस्पिटल के बाहर पिछले कई वर्षों से एम्बुलेंस चला रहे हैं। पेशेंट्स को उनके घर से लाना, इलाज के बाद उनके घर तक छोड कर आना हो या फिर डेड बॉडी को छोड़ना, यह सब वो लोग भली भांति करते आ रहे थे। लेकिन पिछले कुछ समय पहले हैदराबाद से आई एक कंपनी ने उन्हें ज्यादा काम देने का प्रलोभन देकर अपने साथ जुड़ने को कहा। उन्होंने रेड एम्बुलेंस के प्रतिनिधियों से पूछा कि उन्हें उनके साथ जुड़ कर क्या फायदा होगा। तो कंपनी के प्रतिनिधियों ने उन्हें पेशेंट्स को लाने छोड़ने का ज्यादा काम दिए जाने की बात कही।जबकि पेमेंट भी उतनी ही थी। उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि यह सब तो वो पहले ही कर रहे हैं। तब रेड एम्बुलेंस के प्रतिनिधियों ने फोर्टिस हॉस्पिटल के अधिकारियों से मुलाकात कर टाई अप कर लिया और अपनी 05 एम्बुलेंस हॉस्पिटल के अंदर लगा दी। जिससे उन्हें काम आना बंद हो गया। रेड एम्बुलेंस वालों ने बाहरी एम्बुलेंस वालों के लिए 5000/-, 15000/-, 25000/-,35000 और 80000 का पैकेज सिस्टम तैयार किया है। जिसमे विभिन्न कंडीशन्स के तहत उन्हें काम दिया जाएगा। तब उन सब एम्बुलेंस ऑपरेटर्स ने फोर्टिस हॉस्पिटल के जी एम और मैनेजिंग डायरेक्टर से मुलाक़ात कर अपनी समस्या उनके सामने रखी, उन अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस संबंध में कुछ न कुछ अवश्य किया जाएगा। लेकिन कुछ नतीजा नही निकला। वो लोग आज भी फोर्टिस हॉस्पिटल के बाहर बैठे काम की बाट जोहते रहते हैं। लेकिन निठल्ले बैठे रहने के अलावा उनके पास कोई काम नही है। उनके अनुसार उन सब ने एम्बुलेंस फाइनेंस करवा रखी है, काम न आने से किश्ते रुक गई है। घर परिवार में भूखे मरने की नौबत आ गई है। उन्हें समझ नही आ रहा है कि अब करें तो क्या करें। उन्होंने आगे कहा कि रेड एम्बुलेंस वाले पेशेंट्स और उनके परिजनों से मनमर्जी से पैसे वसूल रहे हैं। उनका कोई तय रेट नही है। दुख इस बात का है कि पेशेंट्स और उनके परिजनों के साथ बड़ी लूट हो रही है, जिसका वो कोई विरोध भी नही कर पा रहे। वहीं उनका एम्बुलेंस ऑपरेटर्स का ट्राईसिटी और अन्य आउटसाइड राज्यों के लिए फिक्स वाजिब रेट है, लेकिन रेड एम्बुलेंस की धक्केशाही के चलते उन्हें पेशेंट्स व उनके परिजनों को उन तक पहुंचने नही दिया जा रहा। उनका मानना है कि लोगों के साथ हो रही इस लूट पर अंकुश लगे। पेशेंट्स व उनके परिजनों की मजबूरी और लाचारी का नाजायज़ फायदा न उठाया जाए।
उन्होंने बताया कि अपनी शिकायत को लेकर मोहाली के उपायुक्त को भी ज्ञापन सौंप चुके हैं और आने दिनों में स्वास्थ्य विभाग निदेशक को भी अपनी शिकायत सौंप उचित कार्रवाई की मांग करेंगे।                                                                                    (रोशनलाल शर्मा की रिपोर्ट)


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