‘उर्वरक आत्मनिर्भरता की राह’: एक नई राह दिखाती पुस्तक
केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया द्वारा लिखी पुस्तक* फसलों की उर्वरक आत्मनिर्भरता एवं उत्पादकता तथा उचित प्रयोग का विश्लेषण करती है
पुस्तक समीक्षा : किसी ने क्या खूब कहा था कि प्रकाशन और पॉलिटिक्स जिस दिन एक पटल/मंच पर साथ आकर काम करना आरंभ कर देंगे!बस उसी दिन से देश की अर्थव्यवस्था का विकास होना शुरू हो जाएगा। और यह कितना सुखकर है कि डॉक्टर मनसुख मांडविया जिस विभाग के मंत्री हैं और जिस ज्वलंत समस्या से देश आज से एक दशक पहले जूझ रहा था उसी को केंद्र में रखकर अपने अनुभव से जब कोई पुस्तक सामने आती है तो वह निश्चित रूप से व्यावहारिक समाधान लिए हुए जनोन्मुखी तो होगी ही! ऐसा ही हुआ भी है।उर्वरक की उपलब्धता और गुणवत्ता के साथ साथ गैर रासायनिक उर्वरक तथा सस्ते सुलभ होना एक दिवा स्वप्न सा लगता था।भारतीय कृषि पर वैश्विक परिदृश्य में प्रश्नचिन्ह लगने लगे थे।मोदी एक और दो कार्यकाल में इसी पर विचारमंथन और कार्य हुआ।
इसी को उकेरती है,केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की नई पुस्तक ‘उर्वरकआत्मनिर्भरता की राह’ यह बताती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में वैकल्पिक उर्वरक अपनाने के रास्ते पर देश कैसे आगे बढ़ रहा है।
1960 के दशक में भारत में जो हरित क्रांति आई,उससे एक तरफ तो देश की खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित हुई लेकिन दूसरी तरफ रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग बड़े पैमाने पर बढ़ा। हरित क्रांति ने जहां देश को चावल और गेहूं समेत अन्य खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर और सरप्लस बनाने का काम किया तो वहीं दूसरी तरफ रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के इस्तेमाल ने हमारी कृषि के लिए दूसरी तरह की संकटों को पैदा किया। मिट्टी की सेहत खराब होने लगी। इससे जो अनाज पैदा हुआ, सेहत पर उसके असर को लेकर भी तरह—तरह की बातें होने लगीं।देश के कृषि उत्पादों और उसकी गुणवत्ता को संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा था।आयात और निर्यात का संतुलन डगमगा गया था और
हमारी व्यापारिक छवि भी धूमिल होने के कगार पर आ गई थी।इन्हीं वजहों से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले की प्राचीर से देश के किसानों से यह आह्वान किया था कि हमें अगर धरती माता की सेहत को बचाना है तो रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कम करके वैकल्पिक उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना होगा। तब से अब तक इस दिशा में काफी काम हुए हैं। उसी की प्रामाणिक नज़ीर आप केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की नई पुस्तक ‘उर्वरक’ आत्मनिर्भरता की राह’ पढ़ सकते हैं.
इस पुस्तक में डॉ. मांडविया ने यह बताया है कि कैसे भारत सरकार ने मोलासेस से बनने वाले उर्वरक को सब्सिडी के दायरे में लाया और किसानों के बीच इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए क्या—क्या किया जा रहा है. साथ ही इस पुस्तक में इस आयाम यथाभारत में पारंपरिक तौर पर इस्तेमाल होने वाले गोबर के खाद को बढ़ावा देने के लिए सरकार अपने स्तर पर क्या—क्या कर रही है. केंद्र सरकार द्वारा लाई गई गोबर धन योजना इसमें कैसे सहायक होगी और इसके तहत किसानों को क्या—क्या मदद देने का प्रावधान है, इस बारे में डॉ. मांडविया इस पुस्तक में विस्तार से बताते हैं।
डॉ. मांडविया आंकड़ों से भी परिपुष्ट कर लिखते हैं, ”2022 के भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि भारत में पालतू पशुओं की संख्या 53.5 करोड़ थी। इससे पता चलता है कि हमारे यहां कृषि कार्यों में गोबर के इस्तेमाल की कितनी व्यापक संभावनाएं हैं। किसानों को लिए गोबर कैसे एक धन बने और उनकी आमदनी बढ़ाने का साधन बने और साथ ही साथ पर्यावरण के अनुकूल खेती हो, इन्हीं उद्देश्यों से मोदी सरकार ने गोबर धन योजना की शुरुआत की। इसके तहत मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस यानी बाजार विकास सहयोग की व्यवस्था की गई है।”
डॉ. मांडविया की ने अपनी पुस्तक में कुल 20 अध्याय में सागर को गागर में बेहद संजीदगी से समेटा है, इन अलग—अलग अध्यायों में वैकल्पिक उर्वरकों के क्षेत्र में चल रहे कार्यों के अलावा उर्वरक आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ते भारत की कहानी को विस्तार से बताया गया है।
नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने हमारे देश ही नहीं वरन समूचे विश्व को प्रभावित किया है।बस इसी का संज्ञान लेते हुए, डॉक्टर मांडविया इस को भारत में प्रवृत्त करा कर, नैनो उर्वरकों को बनाना और संबंधित कार्यों की दिशा में क्या—क्या काम किए गए हैं और कैसे इस मामले में भारत पूरी दुनिया का पहला देश बना है! इसकी जानकारी भी डॉ. मांडविया ने अपनी पुस्तक में दी है।
इस पुस्तक के साथ जो नौ परिशिष्ट जोड़े गए हैं, वे भी अपने आप में बेहद उपयोगी हैं। उनसे ड्रोन जैसे अत्याधुनिक उपकरण का भारत की कृषि में व्यापक इस्तेमाल की संभावनाओं की जानकारी मिलती है। साथ ही यह भी पता चलता है कि भारत का कृषि किस तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है। पुस्तक विश्व की संभवतः सबसे बड़ी संस्था इफको और उसके द्वारा नवाचार से प्रयुक्त नैनो उर्वरक पर भी बहुत अच्छे से प्रकाश डालती है।इफको का सहकारी आंदोलन और भारतीय कृषि में सतत और वैज्ञानिक सोच से ओत प्रोत इतिहास और वर्तमान रहा है।यह पुस्तक निश्चित रूप से किसानों में इफको के नेटवर्क से अपने लिए और गहन स्थान बना कर नैनो उर्वरक क्रांति को मूर्तिमान और प्राण प्रतिष्ठित करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के खेती—किसानी संबंधित विचार भी पुस्तक में प्रस्तुत किए गए हैं। इससे पता चलता है कि देश के किसानों को समृद्ध करने को लेकर मोदी जी कितने प्रतिबद्ध हैं।
अतः यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि डॉ. मनसुख मांडविया ने बिल्कुल सरल भाषा में उर्वरक जैसे जटिल विषय को जिस तरह से पाठकों के बीच रखा है, उसका अध्ययन करके न सिर्फ कृषि विशेषज्ञ और इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोग बल्कि आम लोग भी खुद को ज्ञान के स्तर पर समृद्ध कर सकते हैं। यूं भी नैनो उर्वरक न केवल किसने के खेती बजट में कम लागत के घटक साबित हो रहे हैं तथा साथ ही साथ इन नैनों उर्वरकों के योगदान से हमारा पर्यावरण भूजल कृषि मृदा भी स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक रहेगी।
समूची पुस्तक पढ़ने के बाद,पाठक और विशेष रूप से युवा को यह समझ आ जायेगा कि जब संवाद शीलता संवेदनशीलता जनोन्मुखी होती है और उसमें प्रबुद्ध राजनैतिक इच्छाशक्ति का समावेश हो जाता है तो सहजता सरलता और रोचकता स्वतः ही आ जाती है तभी तो आम किसान और विशेष रूप से कृषि और वानिकी के विद्यार्थी, शिक्षक,विशेषज्ञ उसे चाव से पढ़ना चाहेंगे। और इस कसौटी पर यह पुस्तक के बेमिसाल नज़ीर साबित हुई है| (Inputs-PIB Chandigarh)
*(Book is published by Rupa Publications, Pages 288 Price Rs. 695.)
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*समीक्षक: सूर्य कांत शर्मा:
सूर्यकांत शर्मा पिछले 35-36 वर्षों से समाज के उपयोगी विषयों पर लिखते रहे हैं ।आपने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में भी साढे तीन वर्ष कार्य किया तथा बाद में कृषि पत्रकारिता के माध्यम से आकाशवाणी दूरदर्शन-कृषि दर्शन,किसान चैनल तथा प्रकाशन विभाग सरीखे संस्थाओं से जुड़े रहे हैं ।आपने कृषि से संबंधित स्क्रिप्ट राइटिंग पुस्तक समीक्षा यथा पांच सौ से अधिक कृषि वार्ताएं इत्यादि तथा बतौर प्रस्तोता आपने अनेकों शोज को होस्ट किया है। इफको कृभको और संबंधित कंपनियों के विषय में भी लिखते रहते हैं अतः आपको भारतीय कृषि पर गहन विशेषज्ञता हासिल है (Suryakant Sharma may be contacted at Email ID: suryakant.sharma1902@gmail.com)
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