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8 दिन का मिशन 9 महीने में कैसे बदला?

सुनीता विलियम्स के अंतरिक्ष मिशन की पूरी कहानी, जानिए उन्होंने वहां क्या किया……

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फ्लोरिडा : भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का मिशन सिर्फ 8 दिनों का था, लेकिन तकनीकी कारणों से उन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पूरे 9 महीने बिताने पड़े। उनकी यह अप्रत्याशित रूप से लंबी यात्रा विज्ञान और अनुसंधान की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रही।

स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज (स्पेसएक्स) के स्टारलाइनर क्रू मिशन के तहत सुनीता विलियम्स को जून 2023 में ISS भेजा गया था। यह मिशन मूल रूप से कुछ दिनों का था, लेकिन अंतरिक्ष यान में तकनीकी समस्याएं आने के कारण वापसी में देरी होती गई।

इस दौरान सुनीता ने ISS पर कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में जैविक और भौतिक अनुसंधान शामिल थे। उन्होंने पृथ्वी के वायुमंडल और जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। इसके अलावा, उन्होंने नए स्पेससूट्स और रोबोटिक्स से जुड़े परीक्षणों में भी भाग लिया, जिससे भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को सुरक्षित और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

मिशन के दौरान, सुनीता और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा। स्पेस स्टेशन पर रहने की समय सीमा बढ़ने के कारण उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से खुद को तैयार रखना पड़ा। वहां के सीमित संसाधनों में काम करना और अंतरिक्ष में इतने महीनों तक रहने के बावजूद अपना संतुलन बनाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं था।

आखिरकार, तकनीकी समस्याओं को हल करने के बाद, उनकी वापसी का रास्ता साफ हुआ और बुधवार को वह सफलतापूर्वक धरती पर लौट आईं। फ्लोरिडा तट पर उनकी लैंडिंग को नासा और उनके परिजनों ने ऐतिहासिक बताया।

सुनीता विलियम्स के इस मिशन ने अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानव उपस्थिति के नए आयाम खोले हैं और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण सबक दिए हैं। उनकी यह यात्रा अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में एक मील का पत्थर साबित हुई है।


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