अंबाला कैंट में आठ साल बाद भी नहीं मिली अदालत: स्थानीय वकील और जनता परेशान
अंबाला: आठ वर्ष पहले अंबाला कैंट को प्रशासनिक उपमंडल का दर्जा मिला था, लेकिन आज तक वहां न्यायिक अदालतों का स्थायीत्व नहीं हो पाया है। यह दर्जा राज्य के ऊर्जा, परिवहन और श्रम मंत्री अनिल विज के प्रयासों से मिला था, लेकिन अब तक स्थानीय लोगों और वकीलों को न्याय के लिए अंबाला शहर का रुख करना पड़ रहा है।
वकील और नागरिकों की बढ़ती मांग: न्यायिक अदालतों की आवश्यकता
अंबाला कैंट में एक बार एसोसिएशन है, लेकिन यहां के वकील अब भी न्यायिक अदालतों की स्थापना की मांग कर रहे हैं। अधिवक्ता हेमंत कुमार का कहना है कि कैंट उपमंडल में न्यायिक अदालतों की स्थापना आवश्यक है, ताकि वकील अपने मुवक्किलों की सिविल और क्रिमिनल मामलों में पैरवी कर सकें। उनका कहना है कि प्रशासनिक उपमंडल की स्थिति अधूरी है जब तक यहां पर न्यायिक अदालतें स्थापित नहीं होतीं।
अंबाला कैंट के ऐतिहासिक न्यायिक इतिहास पर सवाल
अंबाला कैंट में अंग्रेजों के शासनकाल में न्यायिक अदालतें हुआ करती थीं, जो मुख्य रूप से सैन्य क्षेत्र के मामलों को निपटाती थीं। हालांकि, 1990 में हुए मंडल कमीशन के विरोध आंदोलन के बाद इन अदालतों को अस्थायी रूप से शहर की पुरानी सेशंस कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। 2003 में मौजूदा न्यायिक परिसर में शिफ्ट होने के बाद भी 2009 में उच्च न्यायालय ने कैंट की अदालतों का विलय शहर की अदालतों में कर दिया।
कैंट बार एसोसिएशन के चुनाव और न्यायिक प्रक्रिया की आवश्यकता
कैंट बार एसोसिएशन के चुनाव पिछले कुछ वर्षों से हो रहे हैं, और आगामी दिसंबर में भी चुनाव प्रस्तावित हैं। वकील हेमंत कुमार के अनुसार, उपमंडल अधिकारी (एसडीएम) और अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेटों के समक्ष पेश होना वकीलों का कार्य नहीं होता। उन्हें न्यायिक अधिकारियों या जजों के सामने पेश होकर मुवक्किल की पैरवी करनी होती है।
लंबे समय से चली आ रही मांग
स्थानीय वकील और नागरिक लंबे समय से कैंट में न्यायिक अदालतों की स्थापना की मांग कर रहे हैं। हालांकि, प्रशासन की तरफ से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
अंबाला कैंट में न्यायिक अदालतों की स्थापना के बिना यह उपमंडल अपनी पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पा रहा है, और वकील एवं नागरिक न्याय के लिए अन्य स्थानों पर निर्भर हैं। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार और प्रशासन इस मांग पर कब कार्रवाई करते हैं।
Comments are closed.