टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का सिंजेंटा इंडिया के साथ समझौता
कृषि ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मुख्य भूमिका निभाएगी: सुशील कुमार एमडी सिंजेंटा इंडिया
हिसार: भारत के सर्वांगीण विकास में कृषि और किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका के मद्देनजर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) और सिंजेंटा इंडिया ने विविधीकृत टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” के लक्ष्य को साकार करने के लिए कृषि की उत्पादकता बढ़ाने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने पर केंद्रित है ।
समझौते के बाद, सीसीएसएचएयू के कुलपति प्रोफेसर बीआर कम्बोज ने कहा, “कृषि अनुसंधान और शिक्षा को समर्पित एक प्रमुख विश्वविद्यालय के रूप में, हमें विश्व की अग्रणी कृषि कंपनी सिंजेंटा इंडिया के साथ जुड़कर उत्पादकता बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में काम करने में खुशी हो रही है।”
इस समझौते को एक विशेष अवसर बताते हुए, सिंजेंटा इंडिया के कंट्री हेड एवं एमडी, सुशील कुमार ने कहा, “मेरे लिए अपने विश्वविद्यालय के साथ मिलकर भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक टिकाऊ और किसानों को सक्षम बनाने का यह एक दुर्लभ एवं सम्मानजनक अवसर है।” सुशील कुमार, जिन्होंने हिसार के सीसीएसएचएयू से ही कृषि के क्षेत्र में स्नातक की पढ़ाई की है, ने कहा कि उनका उद्देश्य कृषि को अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाना है।
प्रोफेसर कम्बोज ने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य कृषि शिक्षा, शोध, कौशल विकास, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है। इसमें किसान, ग्रामीण युवा, डीलर, सरकारी एजेंसियां, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और कृषि से संबंधित अन्य संस्थाएं शामिल हैं।
प्रो. कम्बोज की बात से सहमति जताते हुए, सुशील कुमार ने कहा कि कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना समय की आवश्यकता है। कुमार ने बताया, “हम साझेदारी में विश्वास रखते हैं और भारत में सार्वजनिक संस्थानों, किसानों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ सक्रिय सहयोग कर रहे हैं।”
एमओयू (MoU) के अनुसार, सीसीएसएचएयू और सिंजेंटा इंडिया मिलकर हितधारकों के कौशल विकास, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने हेतु सटीक, विश्वसनीय जानकारी और सूचना एवं संचार तकनीक आधारित उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देंगे। साथ ही, ग्रामीण युवाओं की क्षमता निर्माण, फसल संरक्षण रसायनों का सुरक्षित उपयोग और नई तकनीकों को अपनाने के लिए परियोजनाएं संचालित करेंगे।
सिंजेंटा इंडिया के एमडी ने कहा कि आवश्यक कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, सुरक्षित फसल संरक्षण उत्पादों का उपयोग, और छोटे किसानों व ग्रामीण युवाओं को कृषि के क्षेत्र में बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए कौशल प्रशिक्षण आवश्यक हैं। सिंजेंटा इसके लिये कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि डिप्लोमा टेक्निकल स्कूल, किसान समूह और यूनिवर्सिटी के अन्य इंस्टीट्यूट्स के साथ मिलकर IRISE (Inculcating Rural India Skill Enhancement) के तहत काम करेगी।
सुशील कुमार ने आगे बताया, “इस समझौते के तहत हम कृषि स्नातकों के लिए फसल संरक्षण रसायनों के सुरक्षित उपयोग और अन्य कौशलों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करेंगे, ताकि वे कृषि के क्षेत्र में उद्यमिता की ओर प्रेरित हों। हमारे विशेषज्ञों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छात्र सीधे बातचीत भी कर सकेंगे।”
सुशील कुमार ने कहा कि भारतीय कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए, हम सीसीएसएचएयू के स्नातकोत्तर छात्रों के लिए शोध परियोजनाओं को प्रायोजित करने की योजना बना रहे हैं। इसी तरह, किसान जागरूकता कार्यक्रम और शोध परियोजनाओं के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों का सहयोग लिया जाएगा।
समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान सीसीएसएचएयू और सिंजेंटा इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इनमें सीसीएसएचएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग, संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेंद्र यादव, और एचआरएम निदेशक डॉ. रमेश शामिल थे। (रोशन लाल शर्मा की रिपोर्ट)