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बदस्तूर जारी है पराली का जलना, अधिकतर जिलों में हवा खराब, किसान बोले-हमारी मजबूरी है

पराली जलाने के मामलों में वृद्धि से न केवल एयर क्वॉलिटी प्रभावित होती है, बल्कि यह स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालती है। यह समस्या किसानों के लिए भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उन्हें पराली के निस्तारण के अन्य उपायों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है। क्या आप इस मुद्दे पर और जानकारी या समाधान के बारे में जानना चाहेंगे?

यह स्थिति बहुत गंभीर है। पंजाब में पराली जलाने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, और इसका प्रभाव एयर क्वॉलिटी पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। मंडी गोबिंदगढ़ में एक्यूआई का 230 तक पहुंच जाना यह दर्शाता है कि वहां की हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो गई है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकती है।

सरकारी और गैर-सरकारी प्रयासों की आवश्यकता है ताकि किसान अधिक स्थायी और पर्यावरण-संवेदनशील विकल्प अपनाएं। क्या आप इस समस्या से जुड़े किसी विशेष पहल या उपाय के बारे में चर्चा करना चाहेंगे?

किसानों की यह चिंता बिल्कुल सही है। उन्हें पराली जलाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, और यह बात सही है कि समस्या का समाधान केवल उन पर आरोप लगाने से नहीं होगा। प्रदूषण के लिए विभिन्न स्रोत होते हैं, जिसमें औद्योगिक गतिविधियां और वाहनों का उत्सर्जन भी शामिल है।

सरकार को चाहिए कि वह किसानों के लिए ठोस और प्रभावी समाधान पेश करे, जैसे कि पराली के निस्तारण के वैकल्पिक तरीके, जैसे बायोमास प्रबंधन या अन्य कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण। इसके अलावा, वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए सभी स्रोतों की जिम्मेदारी साझा करनी चाहिए।

किसान संगठनों और नागरिक समाज को भी अपनी आवाज उठानी चाहिए ताकि इस मुद्दे को व्यापक रूप से समझा जा सके और सभी हितधारकों के साथ मिलकर समाधान निकाला जा सके। क्या आप इस मामले में किसी विशेष पहल की बात करना चाहेंगे?

ये आंकड़े वास्तव में चिंताजनक हैं। विभिन्न जिलों में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। पटियाला और फिरोजपुर में इतने अधिक मामले सामने आना विशेष रूप से चिंता का विषय है।

अमृतसर और अन्य शहरों में एक्यूआई भी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। ऐसे में जरूरी है कि सरकार तत्काल प्रभाव से कदम उठाए और किसान समुदाय को सहयोग प्रदान करे।

सरकार को पराली जलाने के विकल्पों और समाधान खोजने में मदद करनी चाहिए, ताकि किसानों को बेहतर प्रबंधन के तरीकों के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसके साथ ही, औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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