News around you

PFI का काला कच्चा चिट्ठा: विदेश में 13 हजार की फौज, हवाला से करोड़ों का चंदा; ED के चौंकाने वाले खुलासे

नई दिल्ली: ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) पर एक दस्तावेज़ जारी किया है, जिसमें संगठन की गतिविधियों के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पीएफआई के सदस्य सिंगापुर सहित पांच खाड़ी देशों में सक्रिय हैं, और इस संगठन में कम से कम 13,000 सदस्य जुड़े हुए हैं।

जांच से यह भी पता चला है कि कई अज्ञात दानदाताओं ने पीएफआई को वित्तीय मदद दी है, और संगठन को हवाला के जरिए भी पैसे भेजे जाते रहे हैं। यह जानकारी पीएफआई की वित्तीय नेटवर्किंग और उसकी गतिविधियों पर चिंता बढ़ा रही है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती उत्पन्न हो रही है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। ईडी ने पीएफआई से जुड़े नेटवर्क की चार साल तक गहन जांच की, जिसमें संगठन की गतिविधियों और वित्तीय स्रोतों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है।

इस जांच में पता चला है कि पीएफआई के सदस्य केवल भारत में ही नहीं, बल्कि सिंगापुर सहित पांच खाड़ी देशों में भी सक्रिय हैं। इसके अलावा, संगठन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने वाले अज्ञात दानदाताओं की पहचान की गई है, और यह भी खुलासा हुआ है कि हवाला के माध्यम से पीएफआई को करोड़ों रुपये की फंडिंग की गई है। इन खुलासों ने पीएफआई की गतिविधियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है।

जांच के बाद तैयार किए गए डोजियर से यह पता चला है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्यों और कार्यालयों की संख्या भारत के विभिन्न राज्यों में व्यापक रूप से फैली हुई है। विशेष रूप से, पीएफआई के केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, जम्मू और कश्मीर, और मणिपुर में सैकड़ों सदस्य और कार्यालय हैं।

यह जानकारी इस बात का संकेत है कि पीएफआई का नेटवर्क काफी मजबूत और विस्तृत है, जिससे संगठन की गतिविधियों पर नज़र रखना और उसे नियंत्रित करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इन राज्यों में सक्रिय सदस्यों और कार्यालयों की उपस्थिति से यह भी पता चलता है कि संगठन विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहुंच बनाने के लिए प्रयासरत है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.