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गुरप्रीत सिंह हत्याकांड में जेल में बंद सांसद अमृतपाल सिंह और गैंगस्टर अर्श डल्ला नामजद

फरीदकोट के थाना सदर के अधीन गांव हरीनौ में नौ अक्तूबर की शाम पंथक संगठनों से जुड़े युवक गुरप्रीत सिंह की मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या की थी। इस मामले में सांसद अमृतपाल सिंह और गैंगस्टर अर्श डल्ला का नाम आया था।

फरीदकोट के थाना सदर के अधीन गांव हरीनौ में 9 अक्टूबर की शाम पंथक संगठनों से जुड़े युवक गुरप्रीत सिंह की मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में सांसद अमृतपाल सिंह और गैंगस्टर अर्श डल्ला का नाम सामने आया है।

गुरप्रीत सिंह की हत्या ने इलाके में तनाव पैदा कर दिया है और जांच में जुटी एजेंसियों के लिए यह मामला गंभीर चुनौती बन गया है। हत्या के पीछे के कारणों और साजिश को समझने के लिए पुलिस गहन जांच कर रही है। सांसद और गैंगस्टर के नामों का उभरना इस मामले को और भी जटिल बना रहा है, जिससे राजनीतिक और आपराधिक संदर्भों की गहराई का अनुमान लगाया जा सकता है।

यह घटना न केवल स्थानीय सुरक्षा स्थिति पर प्रभाव डालती है, बल्कि पंथक संगठनों और उनके कार्यकर्ताओं के बीच तनाव को भी बढ़ा सकती है। मामले की ताजा जानकारी और जांच के परिणामों का सभी को इंतजार है।

फरीदकोट के गुरप्रीत सिंह हत्याकांड में पुलिस ने डिब्रूगढ़ जेल में बंद सांसद अमृतपाल सिंह और विदेश में बैठे गैंगस्टर अर्श डल्ला को नामजद किया है। डीजीपी गौरव यादव ने इस मामले में अमृतपाल सिंह की संलिप्तता के बारे में खुलासा किया था। अब तक कुल छह व्यक्तियों को नामजद किया जा चुका है, जिसमें अमृतपाल सिंह, अर्श डल्ला और रेकी करने वाले तीन गिरफ्तार आरोपी शामिल हैं।

पंजाब पंचायत चुनाव के दौरान 9 अक्तूबर को फरीदकोट में गुरप्रीत सिंह की हत्या के मामले में पुलिस ने बताया कि वारदात के पीछे अमृतपाल सिंह का हाथ था। पुलिस साजिश का पता लगाने के लिए जांच कर रही है।

गुरप्रीत सिंह की हत्या उस दिन हुई जब वह अपने गांव में सरपंच पद की एक महिला उम्मीदवार के हक में प्रचार करने के बाद घर लौट रहा था। मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने उस पर फायरिंग की, जिससे उसे तीन से चार गोलियां लगीं। गंभीर रूप से घायल होने पर उसे फरीदकोट के गुरुगोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

सूत्रों के अनुसार, गुरप्रीत सिंह वारिस पंजाब और बहिबल इंसाफ मोर्चे से भी जुड़ा था, और कुछ समय पहले उसे जान से मारने की धमकियां भी मिली थीं। यह मामला न केवल राजनीतिक तनाव को बढ़ाता है, बल्कि सुरक्षा स्थिति पर भी सवाल उठाता है, जिससे जांच की गति और गहराई में वृद्धि आवश्यक हो जाती है।

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