हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नहीं हुआ फैसला, अब हाईकमान तय करेगा विधायक दल का नेता
कांग्रेस हाईकमान ने विधायक दल का नेता चुनने के लिए चार पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं: टीएस सिंहदेव, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, और वरिष्ठ नेता अजय माकन। इन चारों नेताओं ने पहले सभी विधायकों के साथ सामूहिक बैठक की, जिसमें पार्टी के मामलों पर चर्चा की गई। इसके बाद, उन्होंने बंद कमरे में वन-टू-वन बातचीत की, ताकि विधायकों की राय और अपेक्षाओं को समझा जा सके।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य कांग्रेस पार्टी के भीतर एकता को बढ़ावा देना और विधायक दल के नेता का चयन करना है, जो आगामी चुनावों में पार्टी की रणनीतियों को प्रभावी ढंग से लागू कर सके। पर्यवेक्षकों की यह टीम पार्टी के नेताओं और विधायकों के बीच संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिससे कि वे सामूहिक निर्णय ले सकें।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद शुक्रवार को विधायक दल की बैठक में विधायक दल का नेता (सीएलपी) चुनने का फैसला नहीं हो पाया। चार केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने सभी 37 विधायकों से एक-एक करके बात की और उनकी राय जानी, लेकिन अंततः एक प्रस्ताव पास करके सीएलपी लीडर तय करने का निर्णय हाईकमान पर छोड़ दिया गया।
इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रस्ताव रखा, जिसे प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने अनुमोदित किया। पर्यवेक्षक इस प्रस्ताव और विधायकों की राय की रिपोर्ट बंद लिफाफे में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंपेंगे, जिसके बाद नेतृत्व की ओर से सीएलपी लीडर का फैसला किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, सभी विधायकों से सीएलपी के लिए तीन-तीन नाम पूछे गए, जिसमें 30 से अधिक विधायकों ने हुड्डा को दोबारा से विधायक दल का नेता बनाने की बात कही। दूसरी ओर, सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा के समर्थक विधायकों ने पूर्व डिप्टी सीएम और पंचकूला के विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे किया। कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि विधायकों के साथ हुई रायशुमारी को पार्टी नेतृत्व को सौंप दिया जाएगा और अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा।
बैठक से पहले, हुड्डा ने सेक्टर-7 स्थित अपने सरकारी आवास पर विधायकों के साथ लंच किया, जिसमें 32 विधायक मौजूद रहे। खास बात यह रही कि दिल्ली की बैठक में 31 विधायक पहुंचे थे, जबकि चंडीगढ़ में इनकी संख्या 32 हो गई। एससी सीटों पर जीतने वाले सभी विधायक लंच में शामिल हुए, जबकि सैलजा समर्थक चार विधायकों ने दूरी बनाए रखी।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर सीएलपी बन सकते हैं। यदि विरोधी खेमे ने इसका विरोध किया और हाईकमान ने नया सीएलपी नियुक्त करने का फैसला लिया, तो हुड्डा खेमा गीता भुक्कल का नाम आगे कर सकता है। चूंकि कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बनाने की अटकलें चल रही हैं, ऐसे में यदि गीता भुक्कल सीएलपी लीडर बनीं, तो सैलजा प्रदेशाध्यक्ष नहीं बन पाएंगी, क्योंकि सीएलपी और प्रदेशाध्यक्ष दोनों दलित नहीं बनाए जाएंगे।
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