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पराली बनी रही युवा की आमदनी का जरिया, औंगद गांव का शेखर प्रबंधन कर पर्यावरण संरक्षण में बना सहायक

करनाल : करनाल में युवा किसान पराली के गट्ठे बनाकर अपने खेतों में स्टॉक कर रहे हैं और पिछले कई सालों से इन्हें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) की पानीपत रिफाइनरी में भेजकर अच्छे मुनाफे कमा रहे हैं। अब, यह पराली हरियाणा लिकर्स प्राइवेट लिमिटेड, जुंडला को भी भेजी जा रही है।

इस प्रक्रिया से किसानों को न केवल अपनी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है, बल्कि वे पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रहे हैं। पराली प्रबंधन को लेकर जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ, यह पहल स्थानीय युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत बन गई है। इससे किसानों के लिए आर्थिक लाभ और रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं।

दानवीर कर्ण की नगरी करनाल के छोटे से गांव औंगद के युवक शेखर राणा ने विदेश जाने के अपने सपने को त्यागकर फसल अवशेष प्रबंधन को अपना व्यवसाय बनाने का साहसिक कदम उठाया है। उन्होंने यह साबित किया है कि अपनी जड़ों में रहकर भी सफलता हासिल की जा सकती है।

शेखर ने चार साल पहले एक बेलर मशीन के साथ फसल अवशेष प्रबंधन का कार्य शुरू किया। समय के साथ, उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर इस व्यवसाय को बढ़ाया। अब उनके पास चार बेलर मशीन, आठ ट्रैक्टर, और 11 लीज पर लिए गए ट्रैक्टर हैं, जिनकी मदद से वह फसल अवशेष प्रबंधन का काम कर रहे हैं।

उन्होंने आईओसीएल (पानीपत रिफाइनरी) में पराली के गट्ठे पहुंचाकर लाखों रुपए कमाए हैं और अब हरियाणा लिकर्स प्राइवेट लिमिटेड, जुंडला को भी सप्लाई कर रहे हैं। उनके इस प्रयास से करीब 60 युवकों को रोजगार मिला है, जो इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

शेखर का मानना है कि युवा विदेश जाने की चाह को छोड़कर अपने गांव में रहकर भी सफलता पा सकते हैं। वह युवा पीढ़ी को फसल अवशेष प्रबंधन के माध्यम से न केवल आर्थिक लाभ कमाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी कदम बढ़ाने का संदेश दे रहे हैं। उनका यह प्रयास न केवल उन्हें बल्कि अन्य युवाओं को भी स्वच्छ और हरित पर्यावरण की ओर प्रेरित कर रहा है।

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