स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रीति जिंदल ने नई गाइडबुक ‘एस्थेटिक रीजेनरेटिव एंड कॉस्मेटिक गायनोकोलॉजी’ का संपादन किया
ये ग्राउंड-ब्रेकिंग किताब कॉस्मेटिक गायनोकॉलोजी पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है
चंडीगढ़: डॉ. प्रीति जिंदल, एमडी, डीएनबी, एमआरसीओजी (यूके), एफआईसीओजी, और डायरेक्टर, द टच क्लिनिक, मोहाली ने ‘एस्थेटिक रीजेनरेटिव एंड कॉस्मेटिक गायनोकोलॉजी’नामक एक प्रमुख मेडिकल किताब का संपादन किया है। इस किताब को जेपी पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित किया गया है और यह पहली बार है जब किसी भारतीय प्रकाशक ने इस महत्वपूर्ण विषय पर कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर की गाइडबुक को प्रकाशित किया है।
डॉ. प्रीति, जो इंडियन सोसाइटी ऑफ एस्थेटिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव गायनोकोलॉजी (इनसार्ग-InSARG) की जनरल सेक्रेटरी भी हैं: “इस किताब का उद्देश्य ‘कॉस्मेटिक गायनोकोलॉजी’ के महत्वपूर्ण पहलुओं को सबके सामने लाना है जो कि मेडिसिन साइंस का एक स्पेशलाइज्ड एरिया है जो महिला जननांगों (फीमेल जेनटीलिया) की एस्थेटिक अपीयरेंस और कार्यक्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित है। यह महिलाओं की विभिन्न शारीरिक और एस्थेटिक्स संबंधित चिंताओं का भी काफी अच्छी तरह से समाधान करता है, जिसमें लेबियल एसिमेट्री (विषमता), वजाईनल लेक्सिटी (योनि का ढीलापन) और उम्र से संबंधित परिवर्तन जैसे कि वॉल्यूम या एलेक्सिटी का कम होना जैसे मुद्दे शामिल हैं।”
डॉ. प्रीति को 195 पृष्ठों और 29 चैप्टर्स वाली इस किताब को तैयार करने में एक साल लगा। हार्डबाउंड किताब में डॉ. प्रीति जिंदल के पांच प्रमुख चैप्टर हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं। उनके चैप्टर कॉस्मेटिक गायनोकॉलोजी, एचआईएफयू-HIFU (हाई इंटेंसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाउंड) इलेक्ट्रोमैग्नेटिक टेक्नोलॉजी चेयर, लेबियाप्लास्टी प्रोसीजर्स- लेबियाप्लास्टी एक सर्जिकल प्रोसीजर है जो लेबिया – वजाईनल लिप्स के आकार को कम या बढ़ाती है; ओविरयन (डिम्बग्रंथि) की उम्र बढ़ने के लिए प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (पीआरपी), और एक्स्ट्रा पेरिटोनियल लेजर एप्लीकेशंस के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं।
उत्तर भारत की एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ और जो रयात बाहरा यूनिवर्सिटी, पंजाब में डिपार्टमेंट ऑफ क्लिनिकल एम्ब्र्योलॉजी एंड रीप्रोडक्टिव जेनेटिक्स में प्रोफेसर भी हैं, डॉ. प्रीति जिंदल ने कहा कि “कॉस्मेटिक गायनोकॉलोजी में प्रोसीजर्स लेजर थेरेपी, हाई इंटेंसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाउंड (एचआईएफयू), और प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (पीआरपी) थेरेपी जैसे नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट्स से लेकर लेबियाप्लास्टी और वैजिनोप्लास्टी जैसे सर्जिकल इंटरवेंशंस तक होती हैं।”
एक प्रश्न के उत्तर में, डॉ प्रीति जिंदल ने कहा कि ये किताब महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े कई अनकहे मुद्दों को संबोधित करती है और एडवांस्ड ट्रीटमेंट विधियों की खोज करती है। उन्होंने कहा कि औसत आयु में लगातार बढ़ोतरी के साथ, अब महिलाएं अपने जीवन का लगभग एक तिहाई हिस्सा रजोनिवृत्ति के बाद के चरण में बिताती हैं। महिला के जीवन का यह चरण एस्ट्रोजन की कमी के तौर पर भी देखा जाता है। एस्ट्रोजन एक हार्मोन है जो महिला रीप्रोडक्टिव सिस्टम के विकास और रेगुलेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
डॉ. प्रीति ने कहा, “रजोनिवृत्ति के बाद के चरण के दौरान महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति बहुत सचेत रहने की आवश्यकता है क्योंकि औसत आयु में बढ़ोतरी के कारण यह अवधि लंबी हो जाती है।”
उन्होंने कहा कि “एस्ट्रोजन सुंदरता, हड्डियों की मजबूती, कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ, एक स्वस्थ यौन जीवन और यहां तक कि यूरिनरी हेल्थ को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। एस्ट्रोजन की कमी से वैजाइनल ड्राइनेस, यूरिनरी लीकेज, बार-बार संक्रमण, शरीर में दर्द और कामेच्छा में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।”
सीओ2 वैजाइनल लेजर, एचआईएफयू, रिच प्लाज्मा पीआरपी थेरेपी जैसे कई नए उपचार के तरीके इन स्थितियों के लिए प्रभावी समाधान प्रदान करते हैं। ‘एस्थेटिक रीजेनरेटिव एंड कॉस्मेटिक गायनोकोलॉजी’, प्रेक्टिशनर्स को इन इंटरवेंशंस के सुरक्षित उपयोग के बारे में एजुकेट करती है और व्यापक ट्रेनिंग प्रोटोकॉल प्रदान करती है। डॉ. प्रीति ने कहा कि “यह प्रेक्टिसिंग रीजेनरेटिव मेडिसिन स्पेशलिस्ट्स के लिए एक व्यापक गाइड है।”
यह उल्लेखनीय है कि डॉ. प्रीति जिंदल, जो मोहाली ओबस्ट्रिक्स एंड गायनोकॉलोजी सोसायटी (एमओएचओजीएस) की पूर्व प्रेसिडेंट भी हैं। वे करीब दो साल पहले प्रकाशित एक पुस्तक ‘एस्थेटिक एंड रीजेनरेटिव गायनोकोलॉजी’ की को-एडीटर भी थीं, जिसे प्रतिष्ठित इंटरनेशनल प्रकाशक स्प्रिंगर नेचर ने प्रकाशित किया है।