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अमेरिकी सीनेटरों और शिक्षाविदों ने द्विपक्षीय शैक्षिक संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर दिया, मोहाली में एजुकेशन सेंटर ऑफ़ यूएस खुला

चंडीगढ़, गत माह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाल में हुये अमेरिकी दौरे से न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिली है बल्कि अमेरिकी शिक्षा उद्योग को भी भारत में अपना मार्केट विस्तारित करने में राह आसान हुई है। इसी कड़ी को ओर मजबूती देने के लिये अमेरिकी राज्य अल्बामा के 17 सिनेटर्स और शिक्षाविदों का एक प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर है जो कि अमेरिकी शिक्षा के विभिन्न पहलूओं को प्रसारित कर रहा है। शनिवार को इस प्रतिनिधिमंडल ने मोहाली स्थित एजुकेशन सेंटर ऑफ़ यूएस का उद्घाटन किया गया जिसमें इन सिनेटर्स  के अलावा अमेरिका, पंजाब, हरियाणा के शिक्षाविदों और युनिवर्सिटी अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की। यह सेंटर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करवानें में सहायक सिद्ध होगा।

उद्घाटन के बाद चंडीगढ़ प्रेस कल्ब में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुये सेंटर के निदेशक राजन कुमार ने विदेश मंत्रालय के आंकड़ो का हवाला देते हुये बताया कि दोनों देशों के बीच वर्तमान व्यापार 200 बिलियन डालर्स का है जो कि निकट भविष्य में ओर अधिक पनपने के लिये अग्रसर है। इस कड़ी में एज्यूकेशनल सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्तमान में 2.70 लाख भारतीय स्टूडेंट्स अमेरिका में शिक्षा ग्रहण कर रहे है जबकि 4.4 मिलियन का व्यापक भारतीय समुदाय अमेरिका में है। गत दिनों पीएम के अमेरिकी दौरे ने एक नये अध्याय की शुरुआत की है जिसमें दोनों पक्ष शिक्षा क्षेत्र को मजबूती देने में वचनबद्ध हैं।

भारत कौशल विकास की अपनी मांगों को पूरा करने के लिये काम्युनिटी कालेजों में अमेरिकी अनुभव से काफी कुछ सीख रहा है। भारत में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिये टेकनोलोजी एनेबल्ड लर्निंग और मैसिव ओपन आनलाईन कोर्सिस के क्षेत्र में अमेरिकी संस्थानों के साथ सहयोग करने पर सहमति हुई है। भारत द्वारा शुरु की गई ग्लोबल ऐनिश्यिेटिव आफ एकेडमिक नेटवर्क (जीआईएएन) के तहत दोनों पक्षो को लाभ मिलने की उम्मीद है।

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रतिनिधिमंडल में शामिल सिनेटर आर्थर ओर, बोबी सिंगलटोन, डोनी चेशटिन, टिम मेलसन, जय होवी, प्रिंस चेशनट, गेराल्ड डायल, और शिक्षाविद ऐरिक मैके, श्रीनिवास जवनगुला, वाल्टर गोनसूलिन, क्रेसल थ्रेडगिल, केरी जे पेलमर, गोविंद मेनन, रिने रोजर्स, मीसून हान, एकाली फुलमर और टेक्सास स्टेट यूनिवर्सिटी से देवयानी खरे ने सीमा पार स्किल्स की क्वालिटी और प्रोटबेलिटी सुनिश्चित करने में सर्टिफिकेशन के महत्व पर बल दिया। अपने दौरे में प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली स्थित शिक्षा मंत्रालय के साथ बैठक करने के अलावा लवली प्रोफेशनल युनिवर्सिटी, चंडीगढ़ युनिवर्सिटी, सीजीसी लांडरा आदि विश्वविद्यालयों का दौरा कर इन रिशतों को मजबूती देने का प्रयास किया है|

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