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पंजाब में पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण का खतरा, सरकार ने उठाए सख्त कदम

प्रदूषण से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं

बठिंडा (पंजाब): उत्तर भारत में पराली जलाने से उत्पन्न धुएं का संकट एक बार फिर से सामने आने वाला है। हर साल की तरह इस साल भी अक्तूबर और नवंबर के महीनों में पराली जलाने के कारण हवा की गुणवत्ता में गिरावट की संभावना है। 15 अक्तूबर से 25 नवंबर के बीच प्रदूषण के स्तर में भारी वृद्धि की आशंका जताई जा रही है। इससे निपटने के लिए पंजाब सरकार ने सख्त आदेश जारी किए हैं, जिसके तहत पराली जलाने वाले किसानों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें उनका लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान भी शामिल है। यह कदम सरकार द्वारा प्रदूषण पर नियंत्रण लाने और लोगों की सेहत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई
हर साल पराली जलाने के कारण पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। इस बार पंजाब सरकार ने कड़े निर्देश जारी किए हैं कि जो भी किसान पराली जलाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने चेतावनी दी है कि ऐसे किसानों के लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं। इस फैसले का मकसद पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाना और प्रदूषण को नियंत्रित करना है।

प्रदूषण से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं
पराली जलाने के कारण उत्पन्न धुंध से दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। सांस की बीमारियों, अस्थमा और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल भी स्थिति गंभीर हो सकती है। पिछले वर्षों में प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ा था, जिससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई थी।

सरकार का वैकल्पिक साधनों पर जोर
पराली जलाने को रोकने के लिए सरकार किसानों को वैकल्पिक साधन मुहैया कराने पर भी जोर दे रही है। इससे किसानों को पराली जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और प्रदूषण की समस्या पर नियंत्रण रखा जा सकेगा। इसके साथ ही जनता से भी अपील की जा रही है कि वे अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें, खासकर बुजुर्ग और बच्चे इस मौसम में अधिक सावधानी बरतें।

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