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कैसे बना हिजबुल्ला: लेबनान का गृहयुद्ध, इस्राइल से दुश्मनी और नसरल्ला के बाद का भविष्य

हिजबुल्ला का उदय, लेबनान में संघर्ष की जड़ें और भविष्य की चुनौतियाँ

हिजबुल्ला: एक नए अध्याय का आरंभ

हिजबुल्ला का गठन 1980 के दशक में लेबनान के लंबे गृहयुद्ध की अराजकता के दौरान हुआ था। इसे ईरान की मदद से दक्षिणी लेबनान पर इस्राइल के कब्जे के खिलाफ लड़ने के लिए स्थापित किया गया था। हाल ही में, इस्राइल के हवाई हमले में हिजबुल्ला के प्रमुख हसन नसरल्ला की मौत हो गई है, जिससे संगठन के भविष्य पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

इन दिनों इस्राइल और हिजबुल्ला के बीच संघर्ष पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस्राइली सेना ने हिजबुल्ला के मुख्यालय में एक हवाई हमले के दौरान नसरल्ला को मार गिराया। इस हमले में नसरल्ला की बेटी की भी मौत होने की खबरें हैं।

हिजबुल्ला का परिचय: हिजबुल्ला लेबनान में एक शिया मुस्लिम सशस्त्र समूह और संसद में एक राजनीतिक दल है। इसे अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और इस्राइल जैसे कई देशों द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। यूरोपीय संघ ने हिजबुल्ला की सैन्य शाखा को आतंकवादी संगठन माना है।

कैसे हुई थी हिजबुल्ला की शुरुआत? हिजबुल्ला की जड़ें 1975 में लेबनान में शुरू हुए गृहयुद्ध में हैं। ईरान की नई शिया सरकार से प्रेरित होकर, शियाओं के एक समूह ने इस्राइली कब्जे के खिलाफ लड़ाई शुरू की और ईरान ने हिजबुल्ला को वित्तीय और सामरिक सहायता प्रदान की।

हिजबुल्ला की विचारधारा: हिजबुल्ला खुद को शिया प्रतिरोध आंदोलन मानता है और इसे इस्राइल के खिलाफ लड़ाई में संलग्न किया गया है। इसके घोषणापत्र में लेबनान से पश्चिमी शक्तियों को बाहर निकालने और इस्राइल को खत्म करने का आह्वान शामिल है।

नसरल्ला की मौत के बाद का भविष्य: नसरल्ला की हत्या हिजबुल्ला के लिए एक बड़ा झटका है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे संगठन के मनोबल पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इसका पतन नहीं होगा। नए नेता के लिए ईरान में समर्थन हासिल करना जरूरी होगा। हालात बदलने की संभावना है, लेकिन हिजबुल्ला अभी भी अपने हमलों को जारी रखेगा।

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