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शहीद-ए-आजम भगत सिंह जयंती: देश के वीर सपूत को नमन, उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं

भगत सिंह का क्रांतिकारी योगदान

नई दिल्ली: आज पूरा देश शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती मना रहा है और उनके अदम्य साहस व बलिदान को नमन कर रहा है। 28 सितंबर को जन्मे भगत सिंह भारत के उन वीर सपूतों में से एक थे, जिन्होंने अपनी कम उम्र में ही ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ खड़ा होकर स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई। भगत सिंह का व्यक्तित्व और उनके क्रांतिकारी विचार आज भी करोड़ों भारतीयों, विशेष रूप से युवाओं के दिलों में गहराई से बसे हुए हैं।

भगत सिंह का क्रांतिकारी योगदान
भगत सिंह को केवल एक क्रांतिकारी के रूप में ही नहीं, बल्कि एक विचारक के रूप में भी जाना जाता है। उनकी सोच और उनकी लेखनी ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऊर्जा भर दी थी। उन्होंने न केवल लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए सांडर्स की हत्या की, बल्कि असेम्बली में बम फेंककर यह संदेश दिया कि भारत की आजादी की लड़ाई थमने वाली नहीं है। उनका मानना था कि “क्रांति” सिर्फ हिंसा नहीं है, बल्कि यह अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का तरीका है।

युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत
शहीद भगत सिंह ने सिर्फ 23 साल की उम्र में फांसी के फंदे को चूमते हुए अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन इतने कम समय में भी उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। उनके विचार और आदर्श आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। भगत सिंह की लिखी किताबें, उनके पत्र और उनके द्वारा दी गई शहादत युवाओं को न सिर्फ संघर्ष की प्रेरणा देती हैं, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने की सीख भी देती हैं।
शहीद भगत सिंह की जयंती पर हम सभी को उनके आदर्शों और विचारों से प्रेरणा लेते हुए एक न्यायपूर्ण, समान और स्वतंत्र समाज के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए।

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