हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी: आत्महत्या के लिए उकसाने में आरोपी की मंशा पर गौर जरूरी
हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने में आरोपी की मंशा पर ध्यान देने की बात की
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। यह मामला फरीदाबाद के निवासी सुनील चौहान से संबंधित है, जिन्होंने एफआईआर रद्द करने की याचिका दायर की थी। उनके खिलाफ आरोप था कि वे उन तीन लोगों में से एक थे, जिन्होंने मृतक को धमकी दी थी, जिसके कारण उसने आत्महत्या कर ली थी।
हाईकोर्ट ने निर्णय देते हुए कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने की एफआईआर को रद्द करने से पहले यह देखना आवश्यक है कि उत्पीड़न का सामना करने पर सामान्य व्यक्ति की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अभियुक्त की मंशा और भागीदारी की समीक्षा करना जरूरी है।
कोर्ट ने पाया कि एफआईआर और सुसाइड नोट में गंभीर उत्पीड़न का कोई उल्लेख नहीं है। रिकॉर्ड पर मौजूद आरोप यह साबित नहीं करते कि याचिकाकर्ताओं का इरादा मृतक को आत्महत्या की ओर धकेलने का था। कोर्ट ने यह भी कहा कि सामान्य विवेक वाला व्यक्ति ऐसी परिस्थितियों में आत्महत्या नहीं करता, बल्कि मृतक ने अपने अतिसंवेदनशील स्वभाव के कारण ऐसा किया। इसलिए, कोर्ट ने एफआईआर और संबंधित सभी कार्यवाही को रद्द कर दिया।
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