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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से पहले नेताओं के दल बदलने का सिलसिला तेज हो गया है। ताज़ा घटनाक्रम में, भाजपा से टिकट न मिलने के कारण नाराज पूर्व मंत्री कर्ण देव कांबोज ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। कर्ण देव कांबोज करनाल के इंद्री विधानसभा क्षेत्र से टिकट कटने से असंतुष्ट थे। उन्हें कांग्रेस में शामिल करने की प्रक्रिया पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने पूरी की। यह घटनाक्रम हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मजबूती दे सकता है, जबकि भाजपा के लिए एक झटका हो सकता है, खासकर करनाल क्षेत्र में।

कर्ण देव कांबोज द्वारा भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से करनाल के इंद्री और यमुनानगर के रादौर जैसे क्षेत्रों में चुनावी समीकरण निश्चित रूप से प्रभावित हो सकते हैं। शुक्रवार को दिल्ली में कांग्रेस ज्वाइन करते समय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि कांग्रेस इस कदम को आगामी हरियाणा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने के रूप में देख रही है। कर्ण देव कांबोज के भाजपा से असंतोष का लाभ कांग्रेस को मिल सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां उनकी मजबूत पकड़ रही है।

कर्ण देव कांबोज, जो भाजपा में ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे, के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें उनके त्यागपत्र देने के बाद से चल रही थीं। इंद्री विधानसभा क्षेत्र का इतिहास देखें तो यहां की जनता बाहरी प्रत्याशियों को समर्थन देने में अधिक रुचि रखती आई है। अब तक हुए 13 चुनावों में, क्षेत्र ने पांच बार स्थानीय और आठ बार बाहरी उम्मीदवारों को विजयी बनाया है। इस प्रवृत्ति को देखते हुए कर्ण देव कांबोज का कांग्रेस में शामिल होना और इंद्री क्षेत्र में चुनाव लड़ना क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। कांग्रेस इस कदम को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर सकती है, खासकर ओबीसी समुदाय के समर्थन को साधने के लिए।

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