कोचिंग सेंटर को उन सेवाओं के लिए शुल्क लेने का अधिकार, जो छात्र को प्रदान की गईं
चंडीगढ़। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि यदि कोई छात्र किसी कोचिंग संस्थान में दाखिला लेने के बाद पाठ्यक्रम से हट जाता है, तो पूरी फीस जब्त कर दंडित नहीं किया जा सकता है। कोचिंग सेंटर कानूनी तौर पर केवल उन सेवाओं के लिए शुल्क लेने के हकदार हैं, जो वास्तव में छात्र को दी गई हैं।
सेक्टर-37 बी निवासी पूजा गोयल ने आयोग को शिकायत दी थी कि उन्होंने 2018 में सेक्टर-35 स्थित फिट जेईई एडवांस कोचिंग सेंटर में अपने बेटे का दाखिला कराया था और इसके लिए चेक के माध्यम से 51,700 रुपये का भुगतान किया। शिकायतकर्ता का बेटा कभी भी कोचिंग क्लास में शामिल नहीं हुआ, इसलिए वह रिफंड की हकदार हैं।
कोचिंग संस्थान ने आयोग में कहा कि नामांकन फॉर्म के नियमों के अनुसार, एक बार भुगतान की गई फीस किसी भी स्थिति में वापस नहीं की जाएगी। संस्थान ने यह भी बताया कि जेईई (एडवांस) की तैयारी के लिए चार साल का कोर्स उपलब्ध कराया गया था, जिसकी कुल लागत 3.18 लाख रुपये थी, जिसमें 48,570 रुपये जीएसटी भी शामिल थे। शिकायतकर्ता ने केवल 51,700 रुपये का भुगतान किया था और कोर्स बीच में ही छोड़ दिया। इस स्थिति में रिफंड की कोई पॉलिसी नहीं है।
आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि माता-पिता अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कोचिंग में दाखिला दिलाने के लिए वचन पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं, जो कि एक भावनात्मक शोषण के समान है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही आयोग ने कोचिंग संस्थान को पैसे वापस करने के निर्देश दिए हैं।
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