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प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात महिला चिकित्सक रात्रिपाली में असुरक्षित महसूस करती है : डॉ पुरोहित

हमारे सामुदायिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ *डॉ नरेश पुरोहित, (विजिटिंग प्रोफेसर, एनआईआरईएच, भोपाल) मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में नियुक्त महिला स्वास्थ्य अधिकारियों की सुरक्षा की स्थिति पर

भोपाल/नई दिल्ली : अस्पताल प्रशासक संघ के कार्यकारी सदस्य डॉ. नरेश पुरोहित ने एक सेमिनार में कहा कि ग्रामीण मध्य प्रदेश के अंदरूनी इलाकों में रात्रि पाली में काम करने वाली महिला चिकित्सकों को सुरक्षा संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
डॉ पुरोहित ने कहा कि पर्याप्त कानून प्रवर्तन की कमी और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के बारे में अधिक सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता के कारण स्थिति और भी खराब हो गयी है।

भोपाल स्थित जे के सुपरस्पेशलिटी अस्पताल द्वारा आयोजित ‘ प्रदेश द्वारा संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य क्षेत्र में सुरक्षा उपाय’ विषय पर एक सेमिनार में अपनी चिंता व्यक्त करते हुये, राष्ट्रीय एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (एनआईडीएसपी) के प्रमुख अन्वेषक और महामारी विज्ञानी डॉ. पुरोहित ने सेमिनार को संबोधित करने के बाद कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में, प्रत्येक चिकित्सा पेशेवर को चौबिसों घंटे और अक्सर रात्रि ड्यूटी पर जनता की सेवा करनी होती है। अंदरूनी इलाकों में काम करने वाले, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य क्षेत्रों में महिला डॉक्टर तैनात हैं, उन्हें सुरक्षा संबंधी दिन-प्रतिदिन की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इन केंद्रों पर न्यूनतम वेतन पर रखे गये निजी सुरक्षा गार्ड अक्सर सुरक्षा स्थितियों का प्रबंधन करने के लिये पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं होते हैं। यह अंतर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में बेहतर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को उजागर करता है।                                                                            उन्होंने खुलासा किया कि ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात कई महिला डॉक्टरों ने सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर प्रशासकों की उदासीनता की सूचना दी, एक आम बहाना यह था कि वरिष्ठ डॉक्टरों ने भी इसी तरह की कार्य स्थितियों का सामना किया है।

उन्होंने कहा कि हिंसा का सामना मुख्य रूप से जूनियर डॉक्टरों द्वारा किया जाता है, जो अग्रिम पंक्ति में होने के कारण विशेष रूप से असुरक्षित हैं, लेकिन प्रशासन या नीति-निर्माण में उनकी सीमित भागीदारी होती है।

भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के एक हालिया अध्ययन का हवाला देते हुये प्रसिद्ध चिकित्सक ने कहा कि देश भर के चिकित्सक, विशेष रूप से महिलायें, रात की पाली के दौरान असुरक्षित महसूस करती हैं। स्वास्थ्य सेवा सेटिंग्स में सुरक्षा कर्मियों और उपकरणों में सुधार की पर्याप्त गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि आईएमए अध्ययन के अनुसार सुरक्षित, स्वच्छ और सुलभ ड्यूटी रूम, बाथरूम, भोजन और पीने के पानी को सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे में संशोधन आवश्यक हैं। रोगी देखभाल क्षेत्रों में पर्याप्त स्टाफिंग, प्रभावी ट्राइएजिंग और भीड़ नियंत्रण भी यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है कि डॉक्टर अपने कार्य वातावरण से खतरा महसूस किये बिना प्रत्येक रोगी को आवश्यक ध्यान दे सकें।                                                                                                                                                                                                        सेमिनार में भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने कई अतिरिक्त कारकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की पर्याप्त संख्या की कमी, गलियारों में अपर्याप्त रोशनी, सीसीटीवी कैमरों की अनुपस्थिति और रोगी देखभाल क्षेत्रों में अनधिकृत व्यक्तियों का अप्रतिबंधित प्रवेश सबसे अधिक बार होने वाली खामियों और कमियों में से हैं। उन्होंने कहा कि केवल अधिनियम और कानून ही स्थिति को हल नहीं करेंगे। डॉक्टरों की सुरक्षा सामाजिक रूप से सर्वोपरि होनी चाहिये।

उन्होंने आग्रह किया कि ‘मौजूदा कानूनों की प्रभावशीलता पर अक्सर सवाल उठाये जाते हैं, जिससे पता चलता है कि कानूनी निवारक अधिक मजबूत होने चाहिये।
विशेषज्ञों ने सभी स्वास्थ्य सेवा सेटिंग्स में हिंसा को प्रतिबंधित करने और हवाई अड्डे जैसे सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिये एक केंद्रीय सुरक्षा कानून बनाने का आह्वान किया, ताकि एक सुरक्षित कार्य वातावरण और बेहतर रोगी देखभाल सुनिश्चित हो सके।

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*Dr. Naresh Purohit-MD, DNB, DIH, MHA, MRCP(UK), is an Epidemiologist, Advisor-National Communicable Disease Control Program of Govt. of India, Madhya Pradesh and several state organizations.) He’s visiting Professor, National Institue of Research on Environmental Health, Bhopal. 

Dr.  Purohit is also Principal Investigator for the Association of Studies For Kidney Care..

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