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200 दिन पूरे, शंभू और खनौरी बॉर्डर पर हजारों किसानों की जुटान, 3 अक्तूबर को होगा रेल रोको आंदोलन”

किसान आंदोलन ने 200 दिन पूरे कर लिए हैं, और इस मौके पर पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर हजारों किसान एकत्रित हुए। इन किसानों ने अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर से जोरदार प्रदर्शन किया। उनकी प्रमुख मांगों में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, कृषि कानूनों की वापसी, और बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध शामिल है।

किसान नेताओं ने ऐलान किया है कि 3 अक्तूबर को वे ‘रेल रोको आंदोलन’ करेंगे, जो उनके आंदोलन की अगली बड़ी रणनीति का हिस्सा है। इस आंदोलन का उद्देश्य केंद्र सरकार पर दबाव बनाना है ताकि उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।

शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों की भारी भीड़ उमड़ी, जो अपने हाथों में तिरंगा और काले झंडे लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रही थी। किसानों ने अपनी एकजुटता दिखाते हुए कहा कि वे अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

इस मौके पर विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं ने अपने संबोधन में सरकार पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक उनके साथ किया गया कोई भी वादा पूरा नहीं किया है, और इसलिए वे मजबूर होकर इस तरह के आंदोलनों का सहारा ले रहे हैं।

रेल रोको आंदोलन की तैयारी
किसान नेताओं ने 3 अक्तूबर को रेल रोको आंदोलन की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा, लेकिन यदि सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो वे अपने आंदोलन को और भी तीव्र करेंगे।रेल रोको आंदोलन का मुख्य उद्देश्य सरकार को किसानों की मांगों पर ध्यान देने के लिए मजबूर करना है।

किसानों की मांगें और सरकार की प्रतिक्रिया
किसानों की प्रमुख मांगों में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, तीनों विवादित कृषि कानूनों की वापसी, और बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध शामिल है। किसानों का कहना है कि ये कानून उनके लिए नुकसानदेह हैं और उनके जीवन को प्रभावित करेंगे।

सरकार की ओर से अब तक इन मांगों पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे किसानों का गुस्सा और बढ़ गया है। किसान नेताओं का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों पर विचार नहीं किया, तो वे अपने आंदोलन को और भी उग्र करेंगे।

आंदोलन की व्यापकता
किसान आंदोलन अब पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी फैल चुका है। विभिन्न किसान संगठनों ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है, जिससे यह आंदोलन और भी बड़ा और व्यापक हो गया है।

निष्कर्ष
किसान आंदोलन ने 200 दिन पूरे कर लिए हैं, और यह साफ है कि किसान अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से गंभीर हैं। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों की बड़ी जुटान और 3 अक्तूबर को होने वाले रेल रोको आंदोलन से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह आंदोलन अभी भी पूरी ताकत के साथ जारी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और किसान आंदोलन का अगला चरण क्या होगा।

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