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प्राचीन कला केन्द्र की 298वीं मासिक बैठक में गौतम पाल जोरदार तबला वादन और गुंजन चन्ना का खूबसूरत शास्त्रीय गायन

चंडीगढ़ :  अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र द्वारा 298वीं मासिक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें राजस्थान के प्रतिभाशाली तबला वादक गौतम पाल ने एकल तबला वादक की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया । गौतम पाल ने न केवल फरुखाबाद घराने के तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की अपितु पंजाब घराने के पंडित सुशिल जैन के गंडा बांध शिष्यत्व में भी अपनी कला को निखारा। विभिन्न प्रस्तुतियों द्वारा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके गौतम पाल ऑल इंडिया रेडियो के बी ग्रेड कलाकार है ।
आज के कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति शिमला के गुंजन चन्ना द्वारा पेश की गयी। गुंजन को हाल ही में दूरदर्शन के ऐ ग्रेड से सम्मानित किया गया है। गुंजन चन्ना ने अल्पायु में माता पिता से सीखने के बाद पटियाला के डॉ जगमोहन शर्मा के शिष्यत्व में संगीत की बारीकियां सीखी।गुंजन संगीत की दुनिया का उभरता कलाकार है।

आज के कार्यक्रम की शुरुआत श्री गौतम पाल के तबला वादन से हुई जिस में उन्होंने ने तीन ताल में पेशकार रेले,कायदे,पलटे,पारम्परिक उठान बहुत खूबसूरती से पेश किए । इसके उपरांत इन्होंने फरुखाबाद घराने की कुछ प्राचीन गतें,रेले इत्यादि पेश करके खूब तालियां बटोरी । इसके उपरांत फरमाइशी एवं कमाली चक्रदार , टुकड़े , रेल एवं तिहाई का सधा हुई प्रदर्शन किया। इनके साथ युवा एवं प्रतिभावान हारमोनियम वादक गुरप्रीत सिंह मोगा ने खूबसूरत संगत करके खूब समां बांधा।

कार्यक्रम के दूसरे भाग में युवा एवं प्रतिभाशाली गुंजन चन्ना ने मंच संभाला और राग बिहाग से कार्यक्रम की शुरुआत की। आलाप के पश्चात विलम्बित ख्याल में एक रचना ” कैसे सुख सोये ” पेश की इसके उपरांत मध्य लाया तीन ताल में दो रचनाएँ बालम रे एवं बजे रे मोरी पायल प्रस्तुत करके खूब तालिया बटोरी। द्रुत ख्याल की बंदिश बनी बनी ठनी ठनी भी दर्शकों का मन मोह गयी। कार्यक्रम के अंत में गुंजन ने हिमाचली फोक माये नई मेरिये प्रस्तुत करके रंग जमाया। इनके साथ तबले पर श्री राजेश ब्रह्मभट्ट और हारमोनियम पर श्री मदन कश्यप ने बखूबी संगत की।
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव श्री सजल कौसर और तबला गुरू पंडित सुशील जैन तथा डॉ जगमोहन शर्मा ने कलाकारों को उतरिया और मोमेंटो देकर सम्मानित किया ।                                                                                           ( युद्धवीर सिंह की रिपोर्ट)

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