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हिमाचल बिजली बोर्ड: 81 आउटसोर्स ड्राइवरों की निकासी की प्रक्रिया, संयुक्त मोर्चा का विरोध प्रदर्शन

शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में आउटसोर्स से जुड़े 81 चालकों की सेवाएं समाप्त करने की तैयारी है। इसका विरोध हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी एवं इंजीनियर संयुक्त मोर्चा ने किया है। संयोजक लोकेश ठाकुर और सह संयोजक हीरालाल वर्मा ने कहा कि संयुक्त मोर्चा इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाएगी।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस संबंध में बोर्ड द्वारा जारी निर्देश को तुरंत वापस लिया जाए। नेताओं ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि जिन आउटसोर्स कर्मियों ने 10-12 वर्षों तक कम वेतन पर काम किया और बिजली बोर्ड में अपने उज्ज्वल भविष्य का सपना देखा, उनकी सेवाएं समाप्त करना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि उनके साथ एक बड़ा धोखा भी है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह दुखद है कि प्रदेश सरकार यदि आउटसोर्स कर्मियों के हित में कोई नीति नहीं बना सकती, तो कम से कम उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाना चाहिए। यह लोकतांत्रिक सरकार की सामाजिक उत्थान की जिम्मेदारियों के अनुरूप नहीं है।
उनका कहना था कि इस महंगाई के दौर में ये कर्मी जहां मुश्किल से अपना गुजारा कर रहे हैं, वहीं अपनी अगली पीढ़ी को बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा देने में असमर्थ हैं। मोर्चा ने बिजली बोर्ड प्रबंधन से आग्रह किया है कि छंटनी के इन आदेशों को तुरंत रद्द किया जाए और आउटसोर्स कर्मियों के लिए स्थायी नीति बनाई जाए।
फ्रंट ने मांग की है कि बिजली बोर्ड में समाप्त किए गए 51 पदों को तुरंत बहाल किया जाए।
आउटसोर्स पर रखे गए ये चालक बिजली बोर्ड के नहीं, बल्कि एक कंपनी के थे। बोर्ड इनकी सेवाएं ले रहा था, लेकिन अब बिजली बोर्ड में स्क्रैप पॉलिसी में वाहनों को हटा दिया गया है, जिसके कारण अब इनसे काम नहीं लिया जा रहा। इन्हें कंपनी ने ही वापस बुलाया है।

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