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हिमाचल प्रदेश सरकार बनाएगी ग्रीन कॉरिडोर, इलेक्ट्रिक वाहनों के इंफ्रास्ट्रक्चर को मिलेगा बढ़ावा

ईवी चार्जिंग स्टेशन और वे-साइड सुविधाओं के लिए दो कंपनियों के साथ समझौता, 2026 तक ग्रीन एनर्जी राज्य बनाने की योजना

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हिमाचल प्रदेश:  सरकार ने मंगलवार को राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। राज्य सरकार ने पांच प्रमुख ग्रीन कॉरिडोर में सुविधाओं को बढ़ाने के लिए दो कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

साथ में काम करने वाली कंपनियां
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए, परिवहन विभाग के निदेशक डीसी नेगी ने जानकारी दी कि ईवीआई टेक्नोलॉजी और जियो-बीपी जैसी प्रमुख कंपनियां इन कॉरिडोर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। जियो-बीपी कंपनी मंडी-जोगिंद्रनगर-पठानकोट और कीरतपुर-मनाली-केलांग कॉरिडोर के लिए काम करेगी, जबकि ईवीआई टेक्नोलॉजी परवाणू-ऊना-संसारपुर-टैरेस-नूरपुर और परवाणू-शिमला-रिकांगपिओ-लोसर मार्ग पर काम करेगी।

ग्रीन कॉरिडोर और चार्जिंग स्टेशन
इन ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण के तहत, कंपनियां एक साल के भीतर 41 रणनीतिक स्थानों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन और वे-साइड सुविधाएं स्थापित करेंगी। इसके अलावा, शौचालय, रेस्तरां जैसी सार्वजनिक सुविधाएं भी इन स्थानों पर उपलब्ध कराई जाएंगी। राज्य सरकार का उद्देश्य 2026 तक हिमाचल प्रदेश को ग्रीन एनर्जी राज्य बनाना है, और यह पहल कार्बन उत्सर्जन को कम करने और स्थिर पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी।

ई-वाहनों के लिए योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार धीरे-धीरे हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के बेड़े को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक बसों में बदलने की योजना बना रही है। इसके तहत 350 ई-बसें खरीदी जाएंगी। साथ ही, राज्य सरकार के प्रयासों से, परिवहन विभाग देश का पहला ऐसा विभाग बन गया है, जो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों का बेड़ा संचालित कर रहा है।

निजी वाहनों के लिए भी प्रोत्साहन
इस पहल से निजी वाहन मालिकों को भी इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुझान बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ेगा और पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ेगा।


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