News around you
Responsive v

हाईकोर्ट ने रद्द की 20 साल की सजा, आरोपी को बरी किया

47

चंडीगढ़ : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जालंधर में 2017 के एक दुष्कर्म मामले में निचली अदालत द्वारा पॉक्सो एक्ट के तहत सुनाई गई 20 साल की सजा को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि पीड़िता ने न केवल आरोपी के साथ भीड़-भाड़ वाली जगह से जाते वक्त शोर नहीं मचाया, बल्कि उसका व्यवहार यह दर्शाता है कि उसके साथ शारीरिक संबंध पूरी तरह से सहमति से थे और इसमें कोई जबरदस्ती नहीं थी।

मामला क्या था?
आरोपी ने 2017 में पीड़िता से शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। जालंधर कोर्ट ने 2022 में आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता उस समय नाबालिग थी और आरोपी ने उसका शोषण किया।

कोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने सजा को रद्द करते हुए कहा कि पीड़िता की उम्र संदिग्ध है और यह प्रमाणित नहीं हो पाया कि वह नाबालिग थी। कोर्ट ने यह भी माना कि पीड़िता के गुप्तांगों से मिले शुक्राणु आरोपी के नहीं थे, जिससे यह संभावना जताई गई कि शारीरिक संबंध सहमति से हुए। इसके अलावा, मेडिकल रिपोर्ट में भी कोई चोट के निशान नहीं पाए गए थे।

पीड़िता की सहमति पर सवाल
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पीड़िता के साथ जबरदस्ती की गई होती, तो वह मोटरसाइकिल पर भीड़-भाड़ वाली जगहों से गुजरते वक्त शोर मचाकर राहगीरों से मदद मांग सकती थी। लेकिन पीड़िता ने ऐसा कुछ नहीं किया, जो यह संकेत देता है कि वह आरोपी के साथ स्वेच्छा से थी।

दलीलें और संदेह का लाभ
हाईकोर्ट ने मामले की सामग्री और प्रस्तुतियों की गहराई से जांच की। पीड़िता की उम्र के संदिग्ध होने, स्कूल रजिस्टर की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने और चौकीदार की रिपोर्ट के सही न होने के कारण अदालत ने संदेह का लाभ आरोपी को दिया।


Discover more from News On Radar India

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

You might also like

Comments are closed.