स्कूलों में बैसाखी की धूम..
बच्चों ने पारंपरिक पंजाबी पहनावे में दी गतके की प्रस्तुति, घर से लाया गया पंजाबी भोजन बना आकर्षण…
पंजाब : पंजाब और देशभर के कई स्कूलों में बैसाखी का पर्व पारंपरिक उल्लास और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। इस अवसर पर बच्चों ने पारंपरिक पंजाबी पोशाकों में रंग-बिरंगे कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिनमें खास आकर्षण रहा गतका – सिख मार्शल आर्ट की शानदार प्रस्तुति, जिसने सभी दर्शकों का मन मोह लिया।
स्कूल के प्रांगण को पंजाबी संस्कृति के रंग में रंगा गया था। बच्चे पंजाबी सूट, पगड़ी, सलवार-कुर्ता और फुलकारी जैसे पारंपरिक वस्त्र पहनकर आए। गतका प्रदर्शन के दौरान बच्चों ने अपनी कला से ऐसी जोशभरी प्रस्तुति दी कि दर्शकों ने तालियों की गूंज से उनका हौसला बढ़ाया।
बैसाखी के मौके पर बच्चों से कहा गया था कि वे घर से पारंपरिक पंजाबी व्यंजन लेकर आएं। बच्चों ने घर से मक्के की रोटी, सरसों का साग, घेवर, लस्सी, गुड़, पिन्नी और अन्य स्वादिष्ट पंजाबी खाने लाकर एक छोटे से सांस्कृतिक भोज का रूप दिया। भोजन साझा करते हुए बच्चों ने एक-दूसरे से पंजाब की संस्कृति के बारे में जानकारी भी साझा की।
इस मौके पर शिक्षकों ने बैसाखी के महत्व को समझाते हुए बताया कि यह न केवल फसल कटाई का पर्व है, बल्कि सिख धर्म के इतिहास में भी इसका विशेष स्थान है। 1699 में इसी दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसलिए यह पर्व सिख समुदाय के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम के अंत में बच्चों को बैसाखी के प्रतीक चिन्ह और मिठाइयाँ वितरित की गईं। स्कूल प्रशासन ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़ने और सामूहिकता का अनुभव कराने के लिए आवश्यक हैं।
इस प्रकार, स्कूलों में बैसाखी का पर्व न केवल उत्सव बल्कि शिक्षा और संस्कृति का संगम बनकर उभरा, जहां बच्चों ने आनंद, ज्ञान और परंपरा तीनों का अनुभव किया।
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