सीएमओ में एंट्री के लिए भाजपा दिग्गजों में होड़, किसी को मनोहर का आशीर्वाद तो किसी को नायब की आस
हरियाणा : हरियाणा में नायब सैनी सरकार का मंत्रिमंडल अब पूरी तरह से तैयार हो चुका है, लेकिन इसमें पद खाली नहीं बचा है। ऐसे में चुनाव हारने वाले वरिष्ठ भाजपा नेताओं की नजर अब मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) पर है, क्योंकि राजनीतिक सलाहकार का पद कैबिनेट मंत्री के रैंक के बराबर होता है।
भाजपा की तीसरी बार सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में एंट्री के लिए लॉबिंग जोरों पर है। कई दिग्गज नेता खुद को इस पद पर एडजस्ट करने के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ में अपने आकाओं से संपर्क साध रहे हैं। कंवरपाल गुर्जर, सुभाष सुधा, और असीम गोयल जैसे पूर्व मंत्रियों के नाम चर्चा में हैं, जो इस रेस में आगे बताए जा रहे हैं। कंवरपाल को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का भरोसेमंद माना जाता है, जबकि सुधा और गोयल मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के करीबी माने जाते हैं।
आठ मंत्री हारे चुनाव
इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के आठ मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है, जिनमें कंवरपाल, सुभाष सुधा, असीम गोयल, जेपी दलाल, संजय सिंह, रणजीत चौटाला, अभय सिंह यादव, और कमल गुप्ता शामिल हैं। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता भी हार गए। भाजपा ने मंत्रिमंडल का गठन कर लिया है, लेकिन कोई पद खाली नहीं बचा है, जिससे अब सीएमओ में एंट्री की संभावना ही बची है।
सीएमओ में पद और नेता
मुख्यमंत्री कार्यालय में राजनीतिक सलाहकार, राजनीतिक सचिव, और ओएसडी के पद खाली हैं। इन पदों के लिए कंवरपाल गुर्जर, सुभाष सुधा और असीम गोयल के नाम सबसे अधिक चर्चा में हैं। पिछली सरकार में पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी को राजनीतिक सलाहकार बनाया गया था। इस बार भी भाजपा के हारे हुए नेता इन पदों पर अपनी एंट्री की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
अन्य नेता भी रेस में
चुनाव हारने वाले भाजपा नेताओं की संख्या अधिक होने से उन्हें एडजस्ट करने की चुनौती सामने है। विधायकों को भी चेयरमैनी की उम्मीद है। पूर्व मंत्री मूलचंद शर्मा, जो तीसरी बार जीतकर आए हैं, उन्हें अभी कोई पद नहीं मिला है। पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, रामबिलास शर्मा और बनवारी लाल जैसे नेता भी इस दौड़ में शामिल हैं, लेकिन देखना यह होगा कि आखिरकार किसे मौका मिलता है और कौन पीछे रह जाता है।
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