वायु प्रदूषण की मार से एक्यूआई का आंकड़ा 300 के पार, सांस के मरीजों को बाहर न निकलने की सलाह
कैथल : कैथल में पराली जलाने के मामलों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है, और यह जरूरी है कि इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। अब तक 106 मामले सामने आ चुके हैं, और हाल ही में छह और नई लोकेशंस की जानकारी मिली है।
हालांकि, किसानों के खिलाफ अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं होने से यह सवाल उठता है कि क्या इन मामलों के प्रति प्रशासनिक स्तर पर पर्याप्त कार्रवाई हो रही है। पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण और इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए सख्त कदम उठाना आवश्यक है।
यह आवश्यक है कि किसान समुदाय को पराली प्रबंधन के सही तरीके और इसके फायदे के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि वे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार रहें और कृषि में सुधार कर सकें। स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस समस्या को कम किया जा सके।
कैथल में पराली जलाने के मामलों के बढ़ने से वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है। शुक्रवार को एक्यूआई 311 दर्ज किया गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे जिला नागरिक अस्पताल में सांस और आंखों के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसमें आंखों की ओपीडी 200 के करीब और सांस के मरीजों की ओपीडी 60 से अधिक हो गई है।
चिकित्सकों ने इस मौसम में लोगों को बाहर न निकलने की सलाह दी है, और स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश जारी किए हैं।
इसके अलावा, कृषि विभाग ने भी पराली जलाने की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाया है। अब तक 106 मामले सामने आ चुके हैं, और किसानों पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, लेकिन अभी तक किसी किसान के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
अधिकारियों का कहना है कि बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर नेत्र रोग विशेषज्ञों और फिजिशियन को विशेष व्यवस्थाएं करने के लिए कहा गया है, ताकि अस्पताल में आने वाले मरीजों की उचित देखभाल की जा सके।
इस समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि स्थानीय प्रशासन और कृषि विभाग मिलकर किसानों को पराली प्रबंधन के बेहतर विकल्पों के बारे में जागरूक करें, ताकि इस मौसम में प्रदूषण को कम किया जा सके और स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभावों को रोका जा सके।
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