रिपोर्ट: भारत का पावर सेक्टर 2030 तक दोगुना बढ़कर 280 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है; रक्षा क्षेत्र में भी होगा जोरदार विकास
जेफ्रीज की एक रिपोर्ट में भारत के रक्षा क्षेत्र में जबरदस्त विकास की उम्मीद जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की रक्षा कंपनियां आने वाले वर्षों में 14 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से तरक्की कर सकती हैं।
यह विकास ‘मेक इन इंडिया’ अभियान और स्वदेशी रक्षा उत्पादन में तेजी से हो रहे विस्तार के कारण संभव होगा। भारतीय रक्षा उद्योग, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के साथ, रक्षा निर्यात में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर इसकी स्थिति और मजबूत होने की संभावना है।
अमेरिकी फर्म जेफ्रीज की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ऊर्जा उत्पादन और ट्रांसमिशन सेक्टर में आने वाले वर्षों में जबरदस्त विकास देखने को मिलेगा। रिपोर्ट का दावा है कि यह सेक्टर साल 2030 तक बढ़कर 280 अरब डॉलर का हो सकता है। जैसे-जैसे भारत की विकास दर बढ़ रही है, ऊर्जा की मांग और खपत में भी वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024 से 2030 तक भारत का ऊर्जा उत्पादन और ट्रांसमिशन सेक्टर, वित्तीय वर्ष 2017-23 की तुलना में दोगुना हो जाएगा।
जेफ्रीज की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की ऊर्जा खपत आने वाले वर्षों में 7 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की सतत विकास दर को बनाए रखने के लिए ऊर्जा की मांग बढ़ेगी, जिससे 2024 में कुल ऊर्जा उत्पादन 442 गीगावाट से बढ़कर 2030 तक 673 गीगावाट तक पहुंच सकता है। इसके अलावा, थर्मल पावर प्लांट्स में भी निवेश में वृद्धि होगी, जो ग्रिड की स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
रक्षा क्षेत्र में अपार संभावनाएं
रिपोर्ट में भारत के रक्षा क्षेत्र में भी जबरदस्त वृद्धि की संभावना जताई गई है। जेफ्रीज का अनुमान है कि भारत की रक्षा कंपनियां 2024 से 2030 के बीच 14 प्रतिशत की वार्षिक दर से तरक्की कर सकती हैं। सरकार की “मेक इन इंडिया” पहल के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने से घरेलू रक्षा उत्पादन में तेजी आएगी। वैश्विक युद्ध और सुरक्षा चुनौतियों के चलते भारत का रक्षा बाजार अगले 5-6 वर्षों में 90-100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत, जो रक्षा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देशों में से एक है, 2022 में अमेरिका की तुलना में 10 प्रतिशत और चीन के मुकाबले 27 प्रतिशत रक्षा खर्च कर रहा था। तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक मंच पर भारत के उभार के कारण आने वाले वर्षों में रक्षा क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
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