राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10-12 मार्च तक हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के दौरे पर…
राष्ट्रपति मुर्मू विभिन्न विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में होंगी शामिल, आध्यात्मिक और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों में लेंगी भाग…
पंजाब / चंडीगढ़ : द्रौपदी मुर्मू 10 से 12 मार्च तक हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के दौरे पर रहेंगी, जहां वे विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भाग लेंगी। राष्ट्रपति सचिवालय के अनुसार, 10 मार्च को राष्ट्रपति गुरु जम्भेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी। इसी दिन, वे हिसार में ब्रह्माकुमारीज़ के स्वर्ण जयंती समारोह के तहत ‘समग्र कल्याण के लिए आध्यात्मिक शिक्षा’ नामक राज्य स्तरीय अभियान की शुरुआत करेंगी।
11 मार्च को राष्ट्रपति पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा और एम्स, बठिंडा के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी। उसी दिन शाम को वे पंजाब सरकार द्वारा उनके सम्मान में आयोजित नागरिक स्वागत समारोह में मोहाली पहुंचेंगी। 12 मार्च को चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेंगी और छात्रों को संबोधित करेंगी।
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को बिना किसी पूर्वाग्रह के कार्यबल में भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह धारणा कि महिलाएं काम से ज्यादा परिवार को प्राथमिकता देंगी, उसे चुनौती देने की जरूरत है। सच्ची प्रगति तब होगी जब हर लड़की बिना किसी डर और प्रतिबंध के अपने सपनों को पूरा कर सके।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में ‘नारी शक्ति से विकसित भारत’ थीम पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति मुर्मू ने किया। इस मौके पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम में महिला नेतृत्व और समावेशिता के महत्व पर प्रकाश डाला गया, साथ ही भारत की प्रगति में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया गया।
सम्मेलन में एक विशेष लघु फिल्म भी दिखाई गई, जिसमें महिला नेतृत्व द्वारा संचालित विकास की प्रेरक कहानियों को दर्शाया गया। इसके अलावा, ‘संविधान सभा की महिला सदस्यों का जीवन और योगदान’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। सांस्कृतिक प्रस्तुति के माध्यम से महिलाओं के योगदान को सम्मानित किया गया, और राष्ट्रपति ने अपने मुख्य भाषण में महिला नेतृत्व और समानता के महत्व पर जोर दिया।
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