मौसम में बदलाव से बढ़ा प्रदूषण, अस्थमा मरीजों के लिए जरूरी सतर्कता
चंडीगढ़: मौसम में बदलाव के साथ बढ़ते प्रदूषण ने एक बार फिर अस्थमा के मरीजों की परेशानियों को बढ़ाना शुरू कर दिया है। सुबह-शाम की हल्की ठंड और प्रदूषण के बढ़ते स्तर से अस्थमा के अटैक के मरीज ओपीडी में आने लगे हैं।
विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति की गंभीरता को समझते हुए दिवाली से पहले एहतियात बरतना जरूरी है, ताकि मरीज त्योहार पर सुरक्षित रहकर परिवार के साथ खुशियां मना सकें। पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रो. रविंद्र खैवाल ने बताया कि अक्सर सर्दियों में सांस के मरीजों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। गंभीर स्थिति में इसके कारण मरीजों को अस्थमा के अटैक आने लगते हैं।
अस्थमा और प्रदूषण का संबंध
प्रो. रविंद्र ने बताया कि अस्थमा एक सांस संबंधी रोग है जिसमें श्वसन नलियों में सूजन आ जाती है। वायु प्रदूषण और तापमान में गिरावट के साथ पटाखों का धुआं भी अस्थमा के अटैक का बड़ा कारण है। वायु प्रदूषण, खासकर स्मोकिंग और पटाखों का धुआं, अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
इस मौसम में हवा की गुणवत्ता खराब होती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और अस्थमा के लक्षण बढ़ जाते हैं। पटाखे जलाने से सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें वातावरण में फैलती हैं। इसके अलावा, पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर बढ़ जाता है, जो स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
मरीजों के लिए सलाह
प्रो. रविंद्र ने चेतावनी दी कि वातावरण में मौजूद प्रदूषक तत्व और जहरीली गैसें सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकती हैं, जिससे सांस की नली में संक्रमण हो सकता है। इससे खांसी और सांस की नली में सिकुड़न हो सकती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। पीएम-10 और पीएम-2.5 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों में पहुंचने से ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी और अस्थमा जैसी बीमारियों को बढ़ा सकते हैं।
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