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भारत के ईवी उद्योग में ₹3.4 लाख करोड़ का भारी निवेश, कोलियर्स रिपोर्ट में भविष्य के अवसरों की संभावना

कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में 30% इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का लक्ष्य हासिल करने के लिए कंपनियां लिथियम आयन बैटरी और ईवी विनिर्माण में बड़े पैमाने पर निवेश करेंगी। हालांकि, ईवी अपनाने की दर में तेजी लाने की आवश्यकता है....

भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग में घरेलू और विदेशी कंपनियां अगले छह वर्षों में ₹3.4 लाख करोड़ का भारी निवेश करने की योजना बना रही हैं। कोलियर्स इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2030 तक भारत में 30% इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का लक्ष्य हासिल करने के लिए कंपनियां लिथियम आयन बैटरी विनिर्माण और ईवी उत्पादन पर जोर देंगी।

रिपोर्ट के अनुसार, अगले कुछ वर्षों में कुल ₹3.4 लाख करोड़ का निवेश किया जाएगा, जिसमें से ₹27 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹2,25,000 करोड़) का निवेश लिथियम आयन बैटरी निर्माण में और ₹9 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹75,000 करोड़) का निवेश ईवी विनिर्माण और मूल उपकरणों के लिए किया जाएगा। हालांकि, वर्तमान में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की अपनाने की दर 8% है, और कुल ईवी स्टॉक 5 मिलियन से ज्यादा है, जिससे आने वाले वर्षों में अधिक तेजी से ईवी अपनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

कोलियर्स ने बताया कि इस निवेश से रियल एस्टेट सेक्टर में कई अवसर खुल सकते हैं, खासकर औद्योगिक और भंडारण क्षेत्र में। इस निवेश के चलते भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है और लिथियम आयन बैटरी सहित इलेक्ट्रिक वाहन और ओई विनिर्माण इकाइयों की स्थापना भी तेज हो सकती है।

भारत ने 2030 तक सड़कों पर 80 मिलियन ईवी के लक्ष्य को हासिल करने का महत्वाकांक्षी उद्देश्य रखा है। हालांकि, वर्तमान में यह लक्ष्य धीमी प्रगति पर है और 2024 में लगभग 2 मिलियन इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईवी को अपनाने की दर सबसे ज्यादा तीन-पहिया वाहनों में देखी जा रही है, जो खासतौर पर अंतिम मील परिवहन के लिए उपयोग होते हैं।

कोलियर्स का कहना है कि यदि घरेलू विनिर्माण पर और जोर दिया जाए, तो यह ईवी की खरीद लागत को कम करने में मदद कर सकता है और निजी वाहनों में ईवी अपनाने को बढ़ावा दे सकता है। हालांकि, धीमी प्रगति और 2024 में 2 मिलियन वार्षिक बिक्री के बावजूद, यह उम्मीद की जाती है कि निर्धारित लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा, भले ही इसमें थोड़ी देरी हो।

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