‘बेटे के बिना नहीं रह सकती तो मर जाओ’ कहना सुसाइड के लिए उकसाना नहीं: सुप्रीम कोर्ट
आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया अपील.....
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का यह कहना कि “बेटे के बिना नहीं रह सकती तो मर जाओ” आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दर्ज आपराधिक मामला खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 और 107 के तहत प्राथमिकी को खारिज करने से इन्कार कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि महिला का मृतक के साथ अपने बेटे की शादी से इंकार करना और यह कहना कि अगर वह बिना शादी के नहीं रह सकती तो मर जाए, यह आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए पर्याप्त नहीं था।
पीठ ने कहा कि इस मामले में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उकसावे के तत्व अनुपस्थित थे और आत्महत्या के लिए प्रेरित करने की स्पष्ट मंशा भी नहीं दिखाई दी। अदालत ने यह भी कहा कि रिकॉर्ड से यह साफ होता है कि अपीलकर्ता और उसके परिवार ने मृतक पर कोई दबाव नहीं डाला था।
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