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बिना गार्ड के सुरक्षित हैं जिले के 993 प्राइमरी स्कूल बच्चों की सुरक्षा पर सवाल..

सुरक्षा के नाम पर इंतजाम अधूरे, गेट खुले रहते हैं, जिम्मेदारी तय नहीं..

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लुधियाना : 993 प्राइमरी स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, क्योंकि इन स्कूलों में एक भी चौकीदार या सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं है। नन्हे बच्चों के लिए बने ये स्कूल पूरी तरह असुरक्षित माहौल में संचालित हो रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में कुल 993 सरकारी प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें पढ़ाई तो हो रही है, लेकिन सुरक्षा के नाम पर व्यवस्थाएं लगभग शून्य हैं। स्कूलों में न तो गेट पर कोई निगरानी होती है और न ही अनजान व्यक्तियों की आवाजाही पर कोई रोक। सुबह से दोपहर तक स्कूल खुले रहते हैं और कोई भी व्यक्ति बिना किसी पूछताछ के परिसर में दाखिल हो सकता है।

अभिभावकों की चिंता इस बात को लेकर लगातार बढ़ रही है कि आखिर उनके बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा। कई स्कूलों के हेडमास्टरों ने भी इस मुद्दे को लेकर विभाग को पत्र लिखे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। कुछ स्कूलों ने स्थानीय स्तर पर वालंटियर से या फिर अध्यापकों की ड्यूटी लगाकर गेट पर निगरानी की कोशिश जरूर की है, लेकिन यह व्यवस्था न स्थायी है, न ही व्यावहारिक। बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा यह मामला न सिर्फ चिंताजनक है बल्कि प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर करता है।

शिक्षकों का कहना है कि स्कूल संचालन के साथ-साथ सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उन पर डाल दी गई है, जिससे उनका मूल कार्य प्रभावित हो रहा है। बच्चों के खेलने, मैदान में दौड़ने या फिर स्कूल से बाहर निकल जाने पर भी कोई निगरानी नहीं हो पाती। कुछ स्कूलों में तो दीवारें भी इतनी नीची हैं कि बाहर से कोई भी आसानी से अंदर आ सकता है। ग्रामीण इलाकों में स्थित स्कूलों की हालत और भी खराब है, जहां आसपास झाड़ियाँ और सुनसान जगहें हैं। इन जगहों पर बच्चों की सुरक्षा और अधिक संवेदनशील हो जाती है।

स्कूलों में सीसीटीवी कैमरों की भी भारी कमी है। जिन स्कूलों में कैमरे लगे भी हैं, वहां निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है। किसी दुर्घटना या अप्रिय घटना की स्थिति में न तो कोई फुटेज मिलता है और न ही तत्काल कार्रवाई हो पाती है। शिक्षा विभाग का कहना है कि गार्ड की तैनाती का प्रस्ताव पहले भी भेजा गया था, लेकिन बजट के अभाव में यह स्वीकृत नहीं हो पाया।

अब यह देखना होगा कि सरकार और शिक्षा विभाग इस गंभीर समस्या पर कब और कैसे संज्ञान लेते हैं। क्या बच्चों की सुरक्षा के लिए बजट जारी होगा? क्या हर स्कूल में एक गार्ड की नियुक्ति होगी? इन सवालों का जवाब भविष्य देगा, लेकिन फिलहाल जिले के 993 स्कूल बिना सुरक्षा गार्ड के चल रहे हैं, और इससे बच्चों की सुरक्षा हर दिन खतरे में है। यदि कोई अप्रिय घटना घटती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? यही चिंता हर माता-पिता के मन में गूंज रही है।


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