पंजाब नगर निकाय चुनाव की जांच क्यों हुई जरूरी?
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस को सौंपी जिम्मेदारी, विपक्ष की शिकायत पर कार्रवाई
मोहाली (पंजाब) : में हुए नगर निकाय चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने इस जांच की जिम्मेदारी एक पूर्व जस्टिस को सौंपी है, जो चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता की समीक्षा करेंगे। यह फैसला विपक्षी दलों की उस शिकायत के बाद आया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें नामांकन दाखिल करने से रोका गया था।
विपक्ष का आरोप है कि राज्य सरकार और प्रशासन ने मिलीभगत कर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया। कई जगहों पर विपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन पत्र भरने ही नहीं दिया गया, जिससे लोकतंत्र की मूल भावना को ठेस पहुंची। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर मतदाताओं को डराने-धमकाने की भी शिकायतें सामने आई हैं। विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को पहले राज्यपाल और फिर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए निष्पक्ष जांच के लिए एक पूर्व जस्टिस को नियुक्त किया है। अदालत ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद जरूरी है, और अगर इसमें कोई अनियमितता हुई है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पंजाब सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न हुए हैं। सरकार का दावा है कि विपक्ष हार के डर से बेबुनियाद आरोप लगा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब पूरे मामले की जांच की जाएगी और निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
इस फैसले के बाद पंजाब की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि जांच के बाद सच्चाई सामने आएगी। वहीं, सत्तारूढ़ दल ने भी कहा कि वे जांच के लिए पूरी तरह तैयार हैं और अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला पंजाब की राजनीति में बड़ा असर डाल सकता है और आने वाले समय में इस पर देशभर की नजर बनी रहेगी।
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