दुष्कर्मी को मौत की सजा: तीन साल की बच्ची से कृत्य को HC ने बताया राक्षसी, जल्लाद नियुक्त करने का आदेश
गुरुग्राम: नवंबर 2018 में सेक्टर-65 में तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति की मौत की सजा को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने इसे ‘दुर्लभतम मामला’ करार देते हुए दोषी के कृत्य को राक्षसी बताया। अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट को तुरंत जल्लाद नियुक्त कर मृत्युदंड को क्रियान्वित करने का आदेश दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
12 नवंबर 2018 को गुरुग्राम में एक बच्ची का नग्न अवस्था में खून से सना शव बरामद हुआ था। जांच में पड़ोसी सुनील को दोषी पाया गया, जिसने बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या की थी। फरवरी 2024 में गुरुग्राम की विशेष अदालत ने पोक्सो अधिनियम के तहत उसे मौत की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
दोषी द्वारा हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की गई, लेकिन अदालत ने उसके अपराध को ‘न्यायिक अंतरात्मा को झकझोर देने वाला’ करार दिया। अदालत ने कहा कि बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या जैसे घिनौने अपराध के लिए मौत की सजा ही उचित है।
साक्ष्य और पुष्टि
आरोपी ने अपने बयान में अपराध स्वीकार किया।
डीएनए रिपोर्ट ने पुष्टि की कि बच्ची के शरीर पर मिले खून के धब्बे और डीएनए आरोपी के थे।
अन्य सबूतों ने दिखाया कि मृतक और आरोपी आखिरी बार साथ देखे गए थे।
ट्रायल कोर्ट का समर्थन
हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि दोषी का आचरण अमानवीय और राक्षसी है। इसे दुर्लभतम मामला मानते हुए सजा बरकरार रखी गई।
प्रतिक्रियाएं
यह फैसला समाज को एक सख्त संदेश देता है कि ऐसे अपराधों के लिए कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
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