दिल्ली कूच करने वाले 101 किसानों को कहा जाएगा ‘मरजीवड़ा’
पंजाब की रिवायत को आगे बढ़ाते हुए, मरजीवड़े जत्था शंभू बॉर्डर से दिल्ली के लिए रवाना।
दिल्ली: चंडीगढ़। पंजाब के किसान आंदोलन ने एक नई परंपरा को जन्म दिया है। दिल्ली में अपनी मांगें मनवाने के लिए शंभू बॉर्डर से रवाना होने वाले 101 किसानों के जत्थे को ‘मरजीवड़ा’ नाम दिया गया है। किसान नेता सुरजीत सिंह फूल ने बताया कि मरजीवड़े का मतलब किसी की जान लेना नहीं, बल्कि अपनी जान कुर्बान करने की तैयारी दिखाना है।
मरजीवड़ा नाम का ऐतिहासिक महत्व
सुरजीत सिंह फूल ने बताया कि मरजीवड़ा नाम की प्रेरणा श्री गुरु तेग बहादुर से मिली है। उन्होंने अपने समय में भाई मतीदास, सतीदास और भाई दयाला को इस जत्थे में शामिल किया था। इसी परंपरा को किसान अब आगे बढ़ा रहे हैं।
शंभू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग और सुरक्षा इंतजाम
किसानों ने शंभू बॉर्डर पर अपनी तरफ से बैरिकेडिंग की है। इस बार विशेष रूप से एक बफर जोन बनाया गया है, जहां वालंटियर तैनात रहेंगे। इस जोन के आगे केवल मरजीवड़ा जत्था जाएगा। किसान नेताओं का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि आंदोलन में किसी तरह की हिंसा या अप्रिय घटना को रोका जा सके।
रेस्क्यू टीम और सुरक्षा योजना
करीब 150 सदस्यों की रेस्क्यू टीम जत्थे के साथ चलेगी। यदि पुलिस की ओर से आंसू गैस के गोले छोड़े जाते हैं, तो रेस्क्यू टीम तुरंत गीली बोरियां और रूमाल से किसानों को बचाएगी। साथ ही, पानी, एंबुलेंस, और चिकित्सा सेवाओं की व्यवस्था भी की गई है।
सरकारों की प्रतिक्रिया
पंजाब और हरियाणा सरकारें इस जत्थे से चिंतित हैं। उनका मानना है कि ‘मरजीवड़ा’ नाम आंदोलनकारियों के आत्मसमर्पण की भावना को प्रदर्शित करता है और यह विरोध प्रदर्शन को और मजबूत बना सकता है।
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